पेरिस में जलवायु सम्मेलन के दौरान ही चेन्न्ई में बारिश से मची तबाही के कारण आम लोगों के लिए भी जलवायु परिवर्तन और अधिक चिंता का विषय बन गया है। चेन्न्ई के संकट ने यह स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याएं सिर उठा चुकी हैं और उनका सामना करने के अलावा और कोई उपाय नहीं। पेरिस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का पक्ष मजबूती...
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ऐसे लौटा सकते हैं हिमालय का वैभव- डा अनिल जोशी
भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में से एक है, जिसे प्राकृतिक संसाधनों का असली वरदान प्राप्त है। हिमालय से लेकर समुद्र तक और मरुस्थल से लेकर दलदली क्षेत्र तक यह देश विशिष्ट परिस्थितियों का धनी है। इन सभी में हिमालय को सबसे ऊंचा स्थान मात्र इसकी ऊंचाई के लिए नहीं बल्कि इसकी राष्ट्रसेवा के लिए प्राप्त है। हिमालय देश के नौ राज्यों और कुल भूमि के 17 प्रतिशत क्षेत्र में...
More »बंजर होते हिमालय की सुध- अनिल प्रकाश जोशी
हिमालय क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में आई त्रासदियां कई मौंजू सवाल खड़े कर रही हैं। उत्तराखंड का ही उदाहरण लीजिए। इस राज्य ने पिछले चार वर्षों में बहुत कुछ झेला है। करोड़ों रुपये की संपत्तियों का नुकसान और हजारों जानों का खो जाना क्या कोई सामान्य मुद्दा है? इन घटनाओं ने देश-दुनिया को झकझोरा। मगर जल्दी ही बिना दवा के ही घाव भर गए और फिर नए सिरे से...
More »कारपोरेट खेती से किसका भला होगा- सुभाषचंद्र कुशवाहा
मानो फसलों की बर्बादी और किसानों की आत्महत्या ही काफी न हो, अब एसोचैम ने शोध प्रस्तुत किया है कि कॉरपोरेट और ग्रुप फार्मिंग ही छोटे किसानों को आपदाओं से बचाएगी। एसोचैम किसानों को राहत देने के पक्ष में नहीं है। उसकी मंशा कंपनियों को राहत देने की है। उसके मुताबिक, किसानों की जमीन औने-पौने दामों में कॉरपोरेट को सौंप देनी चाहिए। उसका मानना है कि कृषि ऋण लगातार बढ़ाने...
More »अब भी हो रही पर्यावरण की अनदेखी - डॉ. भरत झुनझुनवाला
राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि पर्यावरण और विकास को साथ-साथ चलाया जा सकता है। बात सही है। आइए देखें कि सरकार इन दोनों उद्देश्यों को किस प्रकार एक साथ हासिल कर रही है। देश के पर्यावरण कानूनों की समीक्षा करने को मोदी सरकार ने पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय कमेटी गठित की थी। कमेटी में पर्यावरण से...
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