मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है. अब राज्य के छतरपुर में कर्ज से परेशान किसान ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. वहीं, सागर जिले के बीना में भी एक किसान ने अपनी जान दे दी. राज्य में 1 जून से शुरू हुए किसान आंदोलन के बाद से अब तक 18 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. राज्य के बुंदेलखंड हिस्से के तहत आने वाले...
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जीवन चाहिए, मृत्युदंड नहीं- रुचिरा गुप्ता
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की वर्षगांठ पर मुझे एक बात याद आयी. उनकी विधवा, सोनिया गांधी, ने राष्ट्रपति को एक खत में लिखा था कि वे और उनके दोनों बच्चे- राहुल और प्रियंका- राजीव की मृत्यु से अत्यंत पीड़ित हैं, पर वे नहीं चाहते कि राजीव के हत्यारों को मृत्युदंड दिया जाये. सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकर राजीव के हत्यारों को उम्र कैद की सजा दी. इंदिरा गांधी...
More »अपने प्रयोजन में विफल है मृत्युदंड-- प्रो. फैजान मुस्तफा
दो सौ वर्षों से भी अधिक पहले फ्रांस की राष्ट्रीय असेंबली में सजा-ए-मौत के विरुद्ध दलीलें देते हुए फ्रांसीसी क्रांति की प्रमुख हस्तियों में एक रॉब्सपीयर ने कहा था: ‘न्याय और विवेक की आवाज सुनें! यह कहती है कि मानवीय विचार शक्ति कभी इतनी निश्चित नहीं हो सकती कि वह कुछ मानवीय प्राणियों द्वारा किसी अन्य मानवीय प्राणी के प्राण लेने का फैसला कर समाज को वैसा करने दे... आप...
More »महिला सुरक्षा की चुनौतियां-- शैलेन्द्र चौहान
देश को हिला देने वाले 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में दोषियों की अपील पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इस गैंगरेप के चार दोषियों को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी। दोषियों की अपील...
More »दबाव और द्वंद्व में पिसते मासूम-- ज्योति सिडाना
आजकल युवाओं का अच्छी नौकरी और उच्च वेतन पाने से संबंधित अलग-अलग तरह के दबावों के कारण आत्महत्या करना कुछ-कुछ समझ में आता है, लेकिन स्कूल में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों की आत्महत्याएं समझ से परे हैं, क्योंकि इनके कारण गैर-तार्किक ही नहीं, बल्कि अर्थहीन भी होते हैं। उन्हें अपनी हर समस्या का एक ही हल नजर आता है- आत्महत्या कर लेना। उपभोक्तावाद ने एक-दूसरे की समस्याएं समझने की शैली...
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