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जानलेवा प्रदूषण: पारंपरिक चूल्हों की तुलना में दो गुणा ज्यादा पीएम0.1 उत्पन्न करते हैं उन्नत कुकस्टोव

डाउन टू अर्थ 16 मई आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पारंपरिक चूल्हों की तुलना में उन्नत कुकस्टोव कहीं ज्यादा मात्रा में प्रदूषण के अत्यंत महीन कणों का उत्सर्जन करते हैं। देखा जाए तो इन उन्नत चूल्हों का विकासशील देशों में खाना पकाने के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे ने अपने अध्ययन में इस बात की पुष्टि की है कि यह...

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थोक महंगाई शून्य से नीचे आई, 34 महीने बाद निचले स्तर पर पहुंची

रूरल वॉयस, 15 मई खाद्य उत्पादों, खनिज तेलों, बुनियादी धातुओं की कीमतों में गिरावट के चलते लगभग तीन वर्षों में पहली बार थोक महंगाई घटकर शून्य से नीचे पहुंच गई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर गिरकर (-) 0.92 फीसदी पर पहुंच गई। मार्च में थोक महंगाई 1.34 फीसदी थी। जून 2020 के बाद...

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साल 2022 में दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची

द वायर, 15 मई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के अंत तक दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (इंटरनली डिस्प्लेस्ड पीपल- आईडीपी) की संख्या 71.1 मिलियन (7 करोड़ से अधिक) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो 2021 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है. आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (Internal Displacement Monitoring Centre- आईएमडीसी) और नॉर्वेन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) की 76 पृष्ठीय रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक संकट,...

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सेब के सस्ते आयात पर लगी रोक, न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये किलो तय, बागवानों को मिलेगी बड़ी राहत

रूरल वॉयस, 9 मई सेब उत्पादकों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने सेब के सस्ते आयात पर रोक लगा दी है। अब 50 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले सेब का आयात नहीं हो सकेगा। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और उत्तराखंड के सेब उत्पादकों को बड़ी राहत मिलेगी। विदेशों से सस्ते आयात के चलते घरेलू उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था और वे लंबे समय से...

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एनएसएसओ का सर्वे: केवल 49.8 % परिवार ही खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का प्रयोग कर पा रहे हैं

ग्रामीण भारत के केवल 49.8 प्रतिशत परिवार ही खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का प्रयोग कर पा रहे हैं। 46.7 प्रतिशत ग्रामीण परिवार खाना पकाने के लिए लकड़ी का उपयोग कर रहे हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों के 6.5% परिवारों में खाना पकाने के लिए लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। अगर बात करें पीने के पानी की तो केवल 39.1 प्रतिशत परिवारों के पास ही आवास के भीतर पीने के पानी की...

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