जब भी कृषि से जुड़ी किसी समस्या पर लिखना होता है, तब मैं अपने भाई के साथ सलाह-मशविरा करती हूं। मेरे भाई की गिनती बड़े किसानों में होती है, लेकिन खेती से उसको तभी थोड़ा-बहुत पैसा वसूल हुआ, जब करनाल शहर के दिन-ब-दिन फैलते दायरे से उसकी जमीन के कुछ हिस्से शहरी घोषित हुए और अचानक कीमत बढ़ गई। वर्ना गुरबत के बीच गुजरी है मेरे भाई की जिंदगी। एक...
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जमीन का भी राष्ट्रीयकरण हो- शिवदान सिंह
जमीन अधिग्रहण विधेयक जैसे अहम मसले पर मोदी सरकार की दुविधा साफ देखी जा सकती है। गुलामी के प्रतीक 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून की जगह यूपीए सरकार ने जो नया कानून बनाया था, उसे भाजपा का भी समर्थन मिला था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इसे बदलना चाहती है। पर सवाल है कि क्या विकास को गति देने की राह में भूमि अधिग्रहण कानून सबसे बड़ा रोड़ा...
More »भूमि बिल पर संघ ने ट्वीट कर थपथपाई मोदी की पीठ
भूमि अधिग्रहण बिल पर सरकार के बदले रुख की संघ ने सराहना की है। अब तक बिल के प्रावधानों का विरोघ कर रहे संघ के संगठनों ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं का आभार जताया है। स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने पीएम को ट्वीट कर धन्यवाद दिया है। धन्यवाद वाला उनका ट्वीट भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और संघ के विचारक एस...
More »पीछे हटने को तैयार है मोदी सरकार? - परंजॉय गुहा ठाकुरता
यह तो खैर पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि संसद का मानसून सत्र न केवल हंगामाखेज रहेगा, बल्कि वह पूरी तरह से 'धुल" भी सकता है। अब जब ऐसा वस्तुत: होता नजर आ रहा है तो यह किसी के लिए भी अप्रत्याशित नहीं है। सवाल यही था कि क्या इसके बाद मोदी सरकार अपनी नीतियों में बुनियादी बदलाव लाने को मजबूर होगी। संसद में विधायी कार्य ठप...
More »जमीन पर न उतर सकीं अरबों की रेल परियोजनाएं
दिलीप सिंह, अमेठी। सरकार क्या बदली, योजनाओं की रफ्तार भी थम गई यहां। विकास मीलों पीछे और राजनीति कोसों आगे हो गई है। अमेठी व रायबरेली के लोगों की उम्मीदें "राजनीतिक शिकार" हो गई हैं। यहां कभी गाजे-बाजे के साथ शिलान्यास की गई अरबों की रेल परियोजनाओं की शिलाएं अपनी दुर्दशा पर जार-जार रो रही हैं। यह तो बानगी भर है जनाब। न जाने और कितनी योजनाएं अपने पूरा होने की...
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