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आवास और आजीविका के विस्थापन के ख़िलाफ़ जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन

जनचौक,07 सितम्बर, बुलडोजर राज बंद करो”, “शहरी गरीबों को अधिकार देना होगा”, “बिना पुनर्वास विस्थापन बंद करो”, “जिस जमीन पर बसे हैं, जो ज़मीन सरकारी है, वो ज़मीन हमारी है!” जैसे नारों के साथ कल सैकड़ों छतविहीन, आश्रयहीन, निर्वासित लोग बुलडोजर राज के ख़िलाफ़ जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए। क्या विडंबना है कि आज जब हम समाज के संपन्न लोग देश की कथित आज़ादी के 75वें साल पर अमृत महोत्सव मना रहे हैं,...

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दिल्ली सहित कई शहरों में आवास और आजीविका के विस्थापन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

~ प्रेस विज्ञप्ति नई दिल्ली, 6 सितंबर, 2022: आज जब हम 76वें स्वतंत्रता दिवस और आज़ादी का अमृत महोत्सव को मना रहे हैं, उसी समय झुग्गियों, बस्ती कॉलोनियों में रहने वाले और असंगठित क्षेत्र के हजारों श्रमिकों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया है, जिन्हें बिना किसी पुनर्वास के अपनी आजीविका से वंचित भी कर दिया गया है, वे "बुलडोजर राज" के खिलाफ़ जंतर-मंतर पर अपनी आवाज उठाने के...

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गरीबी और असमानता

[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...

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शहरों में सस्ते मजदूर बनाने वाले त्रुटिपूर्ण अर्थशास्त्र से इतर खेतीबाड़ी के पुनर्निर्माण और भविष्य के विकास का रास्ता

गांव सवेरा, 13 अगस्त देश को पेट भरने के लिए दूसरों की दयादृष्टि पर निर्भरता वाली हालत से उबारकर, अतिरिक्त खाद्यान्न भंडारों वाली स्थिति में पहुंचाने के लिए भारतीय किसान द्वारा निभाई महत्वपूर्ण भूमिका से कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे चमकदार सितारा बनकर उभरा है। चाहे हम इस उपलब्धि को सार्वजनिक रूप में मानें या नहीं, लेकिन एक गतिशील कृषि ने देश में आर्थिक विकास की सुदृढ़ नींव रखी है। आज...

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आजादी के 75 साल: खत्म नहीं हो रही भारत में गरीबी

DW हिंदी, 12 अगस्त गरीबी से परेशान होकर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के रहने वाले खुमान अहीरवार 2014 में दिल्ली चले आए थे. दिल्ली आने के बाद उन्होंने पहले तो चौकीदारी का काम किया फिर निर्माण क्षेत्र में मजदूरी करने लगे. कोरोना लॉकडाउन के दौरान वह अन्य श्रमिकों की तरह गांव वापस चले गए और लॉकडाउन खत्म होने के बाद दोबारा दिल्ली लौटे. दिल्ली लौटने के बाद उन्हें काम नहीं मिला,...

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