जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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मलेरिया के परजीवी को मारेगी हल्दी!
कुरुक्षेत्र [राजेश चौहान]। मलेरिया के परजीवी को अब हल्दी से काबू पाया जाएगा। हल्दी में पाया जाने वाला क्यूरकोनिन पदार्थ मलेरिया को तीन दिन में परास्त कर रोगी को स्वस्थ करेगा। पशुओं पर इस ट्रायल को शत-प्रतिशत सफलता मिली है और क्लीनिकल ट्रायल का पहला चरण जारी है। पद्मभूषण तथा भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर जी पद्मनाभन ने मलेरिया के अचूक इलाज का यह फार्मूला खोजा है। सोमवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में गोयल पुरस्कार से...
More »महिलाओं पर बढता हिंसाचार-यूएन रिपोर्
यह बात जानी पहचानी है कि महिलाओं पर हिंसा के मामले में भारत का रिकार्ड खासा खराब है मगर चौंकाने वाली बात यह है कि महिलाओं के साथ हिंसाचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। यूनाइडेट नेशन्स डेवलपमेंट फंड फॉर विमेन(यूनिफेम) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2007 में पिछले साल के मुकाबले में महिलाओं पर हिंसाचार की घटनाओं में 12 फीसदी की बढोतरी हुई।रिपोर्ट में इस दर्दनाक तथ्य की तरफ भी...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »भ्रष्टाचार
खास बात • ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स(साल २०14) में भारत १७5 देशों के बीच ८५ वें पादान पर रखा गया था। साल 2010 के इंडेक्स में भारत फिसलकर 87 वें स्थान पर जा पहुंचा था।* • साल २००६-०७ में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों ने ८८३ करोड़ रुपये बुनियादी सेवाओं को हासिल करने के लिए घूस में चुकाये।** • साल २००६-०७ में भारत के सबसे गरीब...
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