जलवायु परिवर्तन, भूख, कुपोषण, बढ़ती गरीबी, घटते संसाधन, ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनसे आज सारी दुनिया जूझ रही है। अरबों रुपए इन समस्याओं के हल के लिए अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों पर खर्च किए जा चुके हैं। आगे भी किए जाएंगे। पर हल तब भी शायद ही निकले। तो क्या किया जाए? गांधी-विचारों में रची-बसी, स्वाश्रयी महिला सेवा संघ (सेवा), अमदाबाद की संस्थापक और गुजरात विद्यापीठ की चांसलर इला भट्ट के...
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एंथ्रोपोसीन मतलब मानव युग -- बिभाष
वैज्ञानिकों के एक वर्ग का मत है कि आइस एज के बाद बारह हजार वर्षों का स्थिर जलवायु का दौर होलोसीन, जिसके दौरान मानव सभ्यताओं का विकास हुआ, अब समाप्त हो चुका है. इस दौर की समाप्ति का कारण है मानव जाति का धरती की जलवायु में जबरदस्त हस्तक्षेप. वैज्ञानिक नये दौर को एक नया नाम 'एंथ्रोपोसीन' देना चाहते हैं. द इकोनॉमिस्ट पत्रिका ने तो वर्ष 2011 में ही...
More »लुप्त होती तटीय सुरक्षा पंक्ति--- रमेश कुमार दुबे
इस साल अच्छी मानसूनी बारिश से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इस बाढ़ की वजह अच्छी बारिश उतनी नहीं है जितनी कि विकास की अंधी दौड़ में पानी के कुदरती निकासी तंत्र को भुला दिया जाना। शहरों का विकास नदियों के बाढ़ क्षेत्रों, तालाबों व समीपवर्ती कृषि भूमि की कीमत पर हो रहा है। शहरों के...
More »पचास साल में बंजर हो जाएगी रीवा जिले की धरती!
रीवा। ब्यूरो। आने वाले पचास साल में जिले की उपजाऊ धरती बंजर हो सकती है। इस तथ्य का खुलासा हाल ही में प्रयोगशाला में हुई मिट्टी की जांच से हुआ है। जांच में पता चला है कि मिट्टी में जिंक की कमी के साथ लगातार नाइट्रोजन फॉसफोरस, पोटास की अधिकता बनी हुई है। मिट्टी जांच प्रयोगशाला के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी का दावा है कि इसी तरह यदि जिंक की...
More »बस्तर के स्कूलों में लौटने लगे हैं शिक्षक-- शुंभ्रांशु चौधरी
के. रमेश सरकारी शिक्षक हैं पर बीते छह साल से यानी जब से उनकी नौकरी लगी है वे अपने स्कूल नहीं जाते थे. हालांकि उनको महीने में 21,000 रूपये की तनख्वाह मिलती है. बस्तर में ऐसे सैकड़ों के. रमेश हैं जो झंडा शिक्षक के नाम से जाने जाते हैं. ये लोग 15 अगस्त और 26 जनवरी को अपने स्कूल में राष्ट्रीय झंडा फहराने जाते हैं. उनके झंडा फहराने के बाद नक्सली...
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