नोटबंदी के बाद क्रय-विक्रय की गति मंद पड़ने से बाजार और अंतत: अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है. ऐसे में केंद्रीय बजट का जोर अर्थव्यवस्था को गति देने पर भी होगा, ऐसी संभावना है. इसके अलावा निजी पूंजी निवेश के लिए नये सेक्टरों पर फोकस भी करना होगा, ताकि रोजगार का सृजन हो सके. आज पढ़िए तीसरी किस्त. जिस तरह से बीते कुछ वर्षों में नौकरियों में कमी देखी...
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छोटे उद्योगों पर हो टैक्स की छूट-- डा. भरत झुनझुनवाला
देश में रोजगार की स्थिति यूपीए के कार्यकाल से ही बिगड़ती आ रही है. लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2011 में 9 लाख रोजगार उत्पन्न हुए थे. वर्ष 2013 में यह 4 लाख रह गया. वर्ष 2015 में मात्र 1,35,000 रोजगार उत्पन्न हुए. वर्तमान में रोजगार सृजन की बिगड़ती स्थिति का संकेत छोटे उद्योगों के हालात से मिलता है. देश में अधिकतम रोजगार छोटे उद्योगों में ही उत्पन्न...
More »आम बजट आम लोगों के लिए-- बिभाष
बजट बसंती जाड़े से खिसक कर चिल्ला ठंडे के मौसम में आ गया है. कड़कड़ाती ठंड में बजट की तैयारियां चल रही ही हैं कि इसी बीच दो रिपोर्ट चर्चा में आ गयीं. एक रिपोर्ट है वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी इन्क्लुसिव डेवलपमेंट इंडेक्स-2017 और दूसरी रिपोर्ट है ऑक्सफैम रिपोर्ट. दोनों ही रिपोर्ट पूंजीवादी संस्थाओं द्वारा जारी की गयी हैं. इन रिपोर्टों को पढ़ने से साफ झलकता है कि...
More »ढाई साल का ऐतिहासिक सफरनामा-- एम वेंकैया नायडू
यूपीए के एक दशक के दागदार शासन के बाद हमने शुरुआत की थी, तब से लेकर आज दुनिया की सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में एक गिने जाने तक, यानी एनडीए-दो के ढाई साल के शासनकाल में भारत की तरक्की की कहानी कई परिवर्तनकारी कदमों के सहारे आगे बढ़ी है। इन कदमों ने न सिर्फ देश की छवि दुनिया भर में निखारी, बल्कि देश के नागरिकों के जीवन-स्तर...
More »नए संकट ज्यादा गंभीर हैं -- हिमांशु
पिछले साल की आखिरी शाम को दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश उन ऊंचाइयों तक पहुंचने में नाकाम रहा, जिसका प्रचार किया गया था। लोग बीते 50 दिनों से कठिनाइयों का डटकर सामना कर रहे थे। इन दिनों वे कतारों में लगे रहे और अपनी खरीदारी भी कम की। मुश्किलों से राहत मिलने की उम्मीद वे मोदी के भाषण से लगा रहे थे। उन्हें यह भी...
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