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भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन: 100 साल के सफ़र के पाँच पड़ावों ने बदला इतिहास

-बीबीसी,  भारत में ही नहीं यूरोप या किसी अन्य महाद्वीप में आज कम्युनिस्ट आंदोलन बहुत मजबूत नहीं रह गया है. लेकिन इस दौरान इस विचारधारा की राजनीति भारत में अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं. अब तक के इस सफ़र के पांच सबसे अहम पड़ाव और भारतीय राजनीति में उनके मायनों पर एक नज़र: 1. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ताशकंद में स्थापना-कांग्रेस के साथ रिश्ते भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की शुरुआत 17 अक्टूबर, 1920...

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आइएमएफ का मूल्यांकन करने वाले चाहते हैं कि भारत की तर्ज पर पूंजी नियंत्रण दुनियाभर में अपनाया जाये

-द प्रिंट, पिछले तीन महीने में भारत में पूंजी की आवाजाही में भारी वृद्धि देखी गई है. मार्च से लेकर मई 2020 तक कोरोना वायरस के चलते औनेपौने भाव में बिक्री हुई जिनसे भारत से विदेशी पूंजी बाहर गई. जून से यह दिशा उलट गई, जून में कुल पोर्टफोलियो निवेश 3.4 अरब डॉलर के बराबर था, जो अगस्त में बढ़कर 6.7 अरब डॉलर के बराबर हो गया. सितंबर में मामूली पूंजी बाहर...

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पंजाब सरकार की ओर से लाए तीन नए कृषि विधेयकों में क्या है

-बीबीसी, 20 अक्तूबर को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में तीन नए कृषि विधेयकों को पारित किया गया. ये कृषि विधेयक हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि क़ानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए लाए गए हैं. इसके साथ ही विधानसभा ने केंद्र सरकार के कृषि संबंधी क़ानून को खारिज कर दिया है. हालांकि उन्हें इसे क़ानून बनाने के लिए राज्य के राज्यपाल के अलावा देश...

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बिहार एक बार फिर देश को रास्ता दिखा सकता है, रोज़गार बन रहा है चुनाव का केंद्रीय सवाल

-न्यूजक्लिक, बिहार चुनाव में मोदी जी की सीधी एंट्री 23 अक्टूबर से होने जा रही है। पहले चरण के चुनाव के एक सप्ताह पूर्व। वैसे उनके नम्बर दो के स्टार प्रचारक योगी जी 20 अक्टूबर से मैदान में उतर रहे हैं। (अपना हाथरस, बलिया वाला रामराज का UP मॉडल लेकर! ) सवाल यह है कि NDA के हाथ से जो बाजी निकलती जा रही है, क्या वे इसे पलट पाएंगे? चुनाव की घोषणा...

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भारत में न्याय अब एक ऐसा शब्द है जो अपना मतलब खोता जा रहा है

-सत्याग्रह, साल 2000 में अपने एक व्याख्यान में चर्चित अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन ने कहा था कि ‘भारत में अगर कोई गरीब है तो इसकी ज्यादा संभावना है कि वह किसी ग्रामीण इलाके में रह रहा होगा, अनुसूचित जाति या जनजाति या फिर सामाजिक रूप से पिछले वर्ग से ताल्लुक रखता होगा, कुपोषित, बीमार या फिर कमजोर स्वास्थ्य वाला होगा, अनपढ़ या फिर कम पढ़ा-लिखा होगा और कुछ खास राज्यों (जैसे बिहार,...

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