उत्तर प्रदेश परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित 1.37 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से निरस्त होने के दो साल बाद तक सरकार इनमें से आधे पद नहीं भर सकी है। इसका सबसे अधिक नुकसान स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई पर पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के बाद रिक्त हुए पदों पर सरकार को दो चरणों में नियुक्ति करना था। पहले...
More »SEARCH RESULT
राष्ट्रीय शिक्षा नीति मसौदा पुरातनपंथी नहीं पर शक है कि इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा- योगेन्द्र यादव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2019) का मसौदा मैंने पढ़ना शुरू किया तब मन में शंका थी. ये दस्तावेज तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेड़कर के आदेश पर तैयार हुआ है. स्मृति ईरानी के आदेश पर एक मसौदा इससे पहले भी तैयार हुआ था लेकिन मंत्रालय ने उसे खारिज कर दिया था. मसौदे को तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष कोई शिक्षाविद नहीं बल्कि अंतरिक्ष-विज्ञानी के. कस्तूरीरंगन हैं. शिक्षा नीति के बाबत...
More »‘उच्च शिक्षा पर हमला करने का मकसद सरकारों से सवाल पूछने वालों को ख़त्म करना है’
मानवाधिकारों से जुड़े पीपुल्स कमीशन ऑन श्रिंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेस (पीसीएसडीएस) नाम के एक समूह ने देश में शिक्षा व्यवस्था और शैक्षणिक संस्थानों पर हो रहे कथित हमलों की सच्चाई जानने के लिए अप्रैल 2018 में एक समिति (जूरी) का गठन किया गया था. इस समिति में सेवानिवृत्त जस्टिस होसबेट सुरेश और जस्टिस बीजी. कोल्से पाटिल, प्रोफेसर उमा चक्रवर्ती, अमित भादुड़ी, टीके. ओमन, वासंती देवी, घनश्याम शाह, मेहर इंजीनियर और कल्पना कन्नाबीरान...
More »बिहार के स्कूलों में स्थायी शिक्षकों की भर्ती बंद करने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में नेबरहुड स्कूलिंग के जरिए शिक्षा में प्रगति, बालिकाओं के स्कूल आने में बढ़ोतरी, जन्मदर में भारी कमी को देखते हुए स्थायी शिक्षकों की भर्ती को बंद करने की अनुमति दे दी है। राज्य में नियोजित शिक्षकों की संख्या पांच लाख है जबकि नियमित शिक्षक 60 हजार ही हैं। इस कैडर को सरकार ने डाइंग कैडर कहा है जिसे बंद किया जा रहा है। सरकार ने कहा...
More »परीक्षा के अंक नहीं हैं जिंदगी का पैमाना- आशुतोष चतुर्वेदी
हाल में बिहार, झारखंड, सीबीएसइ और आइसीएससी बोर्ड के नतीजे आये हैं. साथ ही कई बच्चों के आत्महत्या करने की दुखद खबरें भी आयीं. ऐसी खबरें इसी साल आयीं हों, ऐसा नहीं हैं. ये खबरें साल-दर-साल आ रही हैं. दुर्भाग्य यह है कि अब ऐसी खबरें हमें ज्यादा विचलित नहीं करती हैं. कुछ दिन चर्चा होकर बात खत्म हो जाती है. गंभीर होती जा रही इस समस्या का कोई...
More »