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संविधान और बराबरी की बात करने वाले उमर खालिद से क्यों डरती है सरकार

-कारवां, 13 सितंबर की आधी रात को खबर मिली कि उमर खालिद को लोधी कॉलोनी स्थित दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के कार्यालय में कई घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से झारखंड के आदिवासी इतिहास में पीएचडी करने वाले उमर को एक साजिश में तथाकथित भूमिका के लिए हिरासत में लिया गया था. दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि फरवरी के अंतिम...

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सब पर शक करो, सबको रास्ते पर लाओ! क्या यही हमारे नये ‘राष्ट्रीय शक्की देश’ का सिद्धांत बन गया है

-द प्रिंट, क्या हमारा दिमाग खराब हो गया है कि हम अपने देश को ‘राष्ट्रीय शक्की देश’ कह रहे हैं? अब आप गूगल में सर्च करने लगेंगे तो यह जुमला कहीं नहीं मिलेगा. यह वैसा मामला नहीं है जैसा हम पाकिस्तान और चीन को ‘नेशनल सिक्यूरिटी स्टेट’ (राष्ट्रीय सुरक्षित राज्य) कहते हैं, जहां क्रमशः फौज और पार्टी न केवल देश की सीमाओं की निगरानी करती है बल्कि राज्यतंत्र और नागरिकों की...

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2020 में हम भारतीयों को 1920 के इटली को जानने की जरूरत क्यों है?

-सत्याग्रह, मैं जीवनियां खूब पढ़ता हूं. इनमें बहुत सी विदेशी हस्तियों की होती हैं जो उनके देश, काल और परिस्थितियों के बारे में बताती हैं. हाल ही में मैंने कनाडाई विद्वान फाबियो फर्नांडो रिजी की किताब ‘बेनेडेट्टो क्रोसे एंड इटैलियन फासिज्म’ खत्म की है. इस किताब में एक महान दार्शनिक की जीवनी के सहारे उस दौर की एक बड़ी सच्चाई बताई गई है. रिजी की किताब पढ़ने के बाद मुझे 1920 के...

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केशवानंद भारती : वह धर्मगुरु जिसकी कोशिशों से भारत एक लोकतंत्र के रूप में बचा रह सका

-सत्याग्रह, केशवानंद भारती का निधन हो गया है. वे 79 वर्ष के थे. उन्होंने रविवार को केरल के कासरगोड जिले में स्थित अपने आश्रम में अंतिम सांस ली. केशवानंद भारती इस मठ के प्रमुख थे. बताया जा रहा है कि अगले हफ्ते उनके दिल का ऑपरेशन होना था लेकिन रविवार, सुबह अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें बचाया नहीं जा सका. देश के न्यायिक इतिहास में दिलचस्पी रखने वाला शायद ही...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो किताब रिलीज़ की, उससे संघ परिवार को दिक़्क़त - प्रेस रिव्यू

द टेलिग्राफ़ अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि 'जिस किताब को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिलीज़ किया, संघ परिवार उस किताब पर प्रतिबंध लगवाना चाहता है.' रिपोर्ट के अनुसार, इस किताब के कुछ हिस्से 1921 के मालाबार विद्रोह के सबसे प्रमुख नेता वरियामकुन्नाथ कुंजाहम्मद हाजी पर आधारित है जिन्हें दक्षिणपंथी 'हिन्दू विरोधी' बताते हैं. अख़बार ने लिखा है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित इस किताब से संघ परिवार को...

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