हम भारतीयों को वर्षगांठ मनाना बहुत भाता है। शायद, हमें लगता है कि सालाना जश्न मनाने के बाद सालभर की बाकी बातों को आसानी से भुलाया जा सकता है। लिहाजा, संसद पर हमले की दसवीं वर्षगांठ पर इस हादसे में जान गंवाने वाले शहीदों के प्रति भावुक आदरांजलियां व्यक्त की गईं, भले ही एक शहीद की विधवा को पेट्रोल पंप आवंटित होने में छह साल लग गए हों। अब देश एक...
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अधूरी तैयारियां - उपेंद्र प्रसाद
आखिरकार खाद्य सुरक्षा कानून अब हकीकत बनने जा रहा है। आजादी के बाद का संभवतः यह सबसे महत्वाकांक्षी कानून है, जिसका उद्देश्य देश के लोगों को भोजन उपलब्ध होने की गारंटी प्रदान करना है। इसके दायरे में ग्रामीण इलाके की 75 फीसदी और शहरी इलाके की 50 फीसदी आबादी रखी गई है और मान लिया गया है कि जिनको दायरे में नहीं रखा गया है, वे अपनी खाद्य सुरक्षा करने में...
More »बीज विधेयक किसानों की हित-रक्षा में नाकाम
बीज विधेयक 2010 संसद के मौजूदा सत्र में बहस के बाद पारित किए जाने के लिए तैयार है। इस विधेयक का शुरुआती मसौदा किसानों के बजाय कृषि-व्यवसायियों के फायदे में होने के कारण विवादास्पद साबित हुआ था। पहले संसदीय स्थायी समिति और फिर सर्वदलीय बैठक में विचार-विमर्श के बावजूद कई किसान संगठनों, विपक्षी राजनीतिक दल तथा नागरिक संगठनों का मानना है कि यह विधेयक छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा में सफल नहीं...
More »असल संत की अंत कथा- आशीष खेतान और मनोज रावत
गंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है. स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल बाबा रामदेव को ध्यान खींचने की कला आती थी. स्वामी निगमानंद के पास यह हुनर नहीं था. इसलिए एक ओर रामदेव विदेशों में जमा...
More »ज्यादा उपज की चाह में देशी धान की उपेक्षा
हेमगिर: हेमगिर अंचल में पारंपरिक देशी धान की खेती ने पूरे पश्चिम ओड़िशा में किसी जमाने में ख्याति अर्जित की थी। लेकिन वर्तमान इस अंचल में देशी धान की बजाय ज्यादा पैदावार के लिए सरकारी धान का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। जिससे युवराज, सफेरी, कलाजीरा, दुईफूल, सम्लेश्वरी आदि देशी धान की प्रजाति लुप्तप्राय सी होती जा रही है। इस मामले में आश्चर्य की बात यह है कि देशी धान...
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