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500 से अधिक कार्यकर्ताओं, वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिखा- केंद्र से पूछें पेगासस खरीदा या नहीं

-द वायर, प्रख्यात लेखकों, पत्रकारों, वकीलों, शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं सहित 500 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना को पत्र लिखकर मिलिट्री ग्रेड के पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल से देश के कई नामचीन लोगों के मोबाइल फोन के संभावित सर्विलांस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है. द वायर  सहित वैश्विक स्तर पर 17 मीडिया संगठनों ने पेगासस प्रोजेक्ट के नाम से एक श्रृंखला प्रकाशत की. पेगासस...

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दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय हिंसा की आग ठंडी नहीं पड़ती कि फिर सुलगने लगती है

-न्यूजलॉन्ड्री, हाल ही में दक्षिण अफ्रीका एक बार फिर से सुर्खियों में छाया रहा और इस बार भी वहीं सालों पुरानी नस्लीय हिंसा की घटना को लेकर ही जिससे उबरने को लेकर इस देश ने लंबा संघर्ष किया है. लेकिन इस संघर्ष की उपलब्धियों पर गाहे-बगाहे चोट पहुंचती रहती है और बमुश्किल वहां बने सकारात्मक माहौल को बिगाड़ती रहती है. हम एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका को नस्लीय हिंसा की आग...

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"केंद्र सरकार द्वारा फोन टैप करवाना लोकतंत्र का अपमान", कर्नाटक के नेता

-कारवां, इजराइली कंपनी एनएसओ समूह द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए जासूसी कराए जाने की दि वायर में प्रकाशित रिपोर्ट पर कर्नाटक के दो बड़े नेताओं ने उनके और उनके कर्मचारियों के फोन नंबरों को टैप करने की निंदा की है. एनएसओ समूह दुनिया भर की सरकारों को निगरानी तकनीक प्रदान करने वाली फर्म है. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जनता दल (सेक्युलर) के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री...

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सुरक्षा बलों से फर्जी गिरफ्तारियां करवा कर क्या हम उन्हें भ्रष्ट नहीं बना रहे हैं?

-जनपथ, 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हैं। कोविड के कुप्रबंधन, पंचायत चुनावों में करारी हार व राम मंदिर के लिए अयोध्या में भूमि घोटाला से भारतीय जनता पार्टी को अपनी सियासी जमीन खिसकती नजर आ रही थी। अब उसने आंतकवाद के नाम पर राजनीतिक ध्रुवीकरण का पुराना खेल शुरू किया है। लखनऊ में 11 जुलाई, 2021 को आतंकवाद निरोधक दस्ता ने 30 वर्षीय मिनहाज अहमद पुत्र सिराज अहमद को दुबग्गा से...

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क्या देश कांच का बना है? राजद्रोह पर अगली सुनवाई में CJI रमन्ना को मोदी सरकार से पूछना चाहिए

-द प्रिंट, राजद्रोह का कानून, जो औपनिवेशिक काल का एक अवशेष है उसकी आज़ादी के 75 साल बाद आज क्या कोई जरूरत रह गई है? बृहस्पतिवार को यह सवाल भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने मोदी सरकार के एटर्नी जनरल से किया. यह सवाल सारगर्भित भी है और रस्मी भी. वैसे, यह मसले का केंद्र बिंदु भी नहीं है, और इसकी वजह है. राजद्रोह का कानून इसलिए भयानक नहीं है...

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