SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 142

ग्रामीण भारत में कोरोनावायरस-39: लॉकडाउन से बिहार के बैरिया गांव के लोगों की आय और खाद्य सुरक्षा प्रभावित हुई

-न्यूजक्लिक,  यह एक जारी श्रृंखला की 39वीं रिपोर्ट है जो ग्रामीण भारत के जीवन पर कोविड-19 से संबंधित नीतियों से पड़ने वाले प्रभावों की झलकियाँ प्रदान करती है। सोसाइटी फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक रिसर्च की ओर से जारी इस श्रृंखला में विभिन्न विद्वानों की रिपोर्टों को शामिल किया गया है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में गांवों के अध्ययन को संचालित कर रहे हैं। रिपोर्ट उनके अध्ययन में शामिल गांवों में...

More »

बुंदेलखंड: पलायन की इनसाइड स्टोरी, ललितपुर में खदानें बंद होने से 50 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार

-गांव कनेक्शन,  ललितपुर जिले के मादौंन गांव की रैना सहारिया (40 वर्ष) उन हजारों प्रवासियों में से एक हैं, जो किसी तरह जद्दोजहद कर घर वापस तो आ गईं लेकिन खुश नहीं हैं। वो पहली बार कमाने के लिए अपने दो लड़कों के साथ घर से बाहर निकली थीं और लॉकडाउन की मुसीबत आ गई। रैना को चिंता कोरोना की नहीं, अपना घर चलाने की हैं, क्योंकि जहां उनका घर है...

More »

किस राज्य में कितने प्रवासी मजदूर फंसे हैं, देखिए लिस्ट

-डाउन टू अर्थ,  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह 15 दिन में प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजे। लेकिन अब तक यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कौन से राज्य में कितने प्रवासी मजदूर फंसे हैं। हालांकि हाल ही में केंद्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश के बाद देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा जारी किया है।...

More »

एकाध को छोड़, ज्यादातर राज्यों ने इस लॉकडाउन में जरूरतमंद दिव्यांगजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया

कोविड-19 महामारी के इस दौर में दिल्ली के एक गैर-लाभकारी संगठन – नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फॉर डिस्बेल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि देश में दिव्यांगजन इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.   एनसीपीईडीपी की रिपोर्ट के अनुसार विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के दिव्यांगजन, लॉकडाउन के दौरान गंभीर कठिनाइयों से गुजर रहे थे. भोजन...

More »

‘ग़रीबी ऐसी है कि मेरे मरने के बाद परिवार के पास अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं होंगे’

द वायर,  ‘उई दिन अच्छे भले उठल रहलन. खाना बनाइके हम पूछलीं कि खा लेईं. बोलनन अभी नाहीं खाइब. नहा के खाइब. नहाइन धोइन अउर बिना कछु कहले बाहर निकल गइन. हम समझी बीड़ी लेवे गइल होइहें. जबसे घर आइल रहिस बहुते कम बाहर जाइस. कभो कभार खाली बीड़ी लेवे बाहर निकलैं. खाना परोस हम राह देख लगौं. देर होके लगी तो पता कइनी कि कहीं भाई के घर त नाहीं...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close