लगातार दूसरी बार दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्विटजरलैंड की बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी के पेटेंट को बरकरार रखा है. यह ड्रग पेटेंट को लेकर किए जाने वाले भविष्य के फैसलों के लिए एक मिसाल बन सकता है. साथ ही तमाम छोटी-छोटी दवा कंपनियों पर इस फैसले का व्यापक असर हो सकता है. शुक्रवार, 27 नवंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने टार्सेवा द्वारा विपणन की जाने वाली फेफड़ों के कैंसर की दवा (रासायनिक...
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क्या यही है पंचायती राज- पीयूष द्विवेदी
कई राज्यों में पंचायत चुनाव चल रहे हैं। कुछ राज्यों में हो चुके हैं तो कुछ में अभी उनकी प्रक्रिया चल रही है। पंचायत चुनाव के इस माहौल में अगर देश के गांवों में जाकर वहां का हाल जानने की कोशिश करें तो हर चौक-चौराहे पर इन चुनावों को लेकर चर्चा मिलेगी। हर सीट को लेकर गुणा-भाग करते ग्रामीण जन मिलेंगे। सीटों के सामान्य या आरक्षित रहने के विषय में...
More »बहुत कठिन है डगर सुशासन की - एनके सिंह
बिहार की जनता ही नहीं, राजनीतिक विश्लेषक और देश का बुद्धिजीवी वर्ग भी बेहद उत्कंठा से देख रहा है कि नई नीतीश सरकार राज्य में कैसी चलेगी, इसकी गुणवत्ता कैसी होगी व इसका जीवन कितने दिनों का होगा। जिन सामाजिक, राजनीतिक और पारस्परिक विभेदों के बीच इस सरकार का जन्म हुआ, उन्हें और चुनाव के बाद के घटनाक्रमों को देखते हुए सकारात्मक पहलू कम नजर आते हैं। खतरा सिर्फ 26...
More »बाल श्रम, सरकार और समाज-- सुशील कुमार सिंह
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) संशोधन विधेयक-2012 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। संभव है कि आने वाले शीत सत्र में इसे संसद के समक्ष पेश किया जाएगा। यह बदलाव 1986 के कानून को न केवल परिमार्जित करने से संबंधित है, बल्कि चौदह से अठारह वर्ष की उम्र के किशोरों के काम को लेकर नई परिभाषा भी गढ़ी जा रही है।...
More »समस्याओं के शिखर, खाली होते पहाड़- अनिल प्रकाश जोशी
उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे सोच यह थी कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां और दुर्गमता विकास के अलग रास्ते की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों को यकीन था कि उनके हालात को समझने की क्षमता मैदानी नीतिकारों में नहीं है। केंद्र को झुकना पड़ा और राज्य की मांग पूरी हुई। लेकिन अब पलटकर देखें, तो इन 15 वर्षों में उत्तराखंड को आठ मुख्यमंत्रियों के अलावा शायद ही कोई...
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