भारतीयों को विवाद-प्रिय माना जाता है और हमारी यह विवादप्रियता एक बार फिर से उठान पर है ! गरीबी-रेखा और गरीबों की तादाद के बारे में लंबे समय तक वाक्युद्ध में उलझे रहने के बाद, प्रसिद्ध अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अर्थशास्त्रियों ने एक बार फिर से विवाद छेड़ा है कि भारत में कुपोषण का विस्तार कितना है। पहले योजना आयोग ने गरीबों की संख्या को कागजी तौर पर घटाने की कोशिश की...
More »SEARCH RESULT
नई अनाज किस्मों के लिए अंतरराष्ट्रीय पहल
भारत, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया ने एग्री रिसर्च के लिए हाथ मिलाया नई चुनौतियां जलवायु परिवर्तन के बावजूद 60 फीसदी उत्पादन बढ़ाना होगा सूखे व ज्यादा लवणता में भी उगने वाली गेहूं, चावल की किस्में चाहिए भारत व ऑस्ट्रेलिया के अनुसंधान के लिए मदद देगा यूएस एड किसानों को प्रतिरोधी क्षमता वाली किस्में सुलभ कराई जाएंगी बदलती जलवायु में उपयोगी गेहूं व चावल की नई किस्में विकसित करने के लिए भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने समझौता किया...
More »'भूखे मरने से अच्छा है कीड़े-मकोड़े खाएं'
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने भुखमरी से निपटने के लिए कुछ नए विकल्प पेश किए हैं। ये पौष्टिक भी हैं और पर्यावरण संरक्षण में मददगार भी। हो सकता है कि ये आपके इर्द-गिर्द रेंग या उड़ रहे हों। बात कीड़े-मकोड़ों की ही हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने सोमवार को जारी एक शोध रपट में कहा है कि चीटियां, टिड्डे और अन्य कीड़े-मकोड़े ऐसे खाद्य...
More »कितना कम जानते हैं हमारे सांसद
समाज के विभिन्न तबकों के लिए भोजन के अधिकार को लेकर काम कर रहे हम जैसे पंद्रह युवाओं का एक समूह पिछले हफ्ते कुछ सांसदों से मिला। इसकी वजह थी, संशोधित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर उनसे चर्चा करना और इसे बेहतर बनाने का प्रयास करना। हमने तकरीबन सौ से अधिक सांसदों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनमें से महज 20 सांसदों से ही मुलाकात हो सकी। कई सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों...
More »जाति की जटिलताएं- योगेश अटल
जनसत्ता 19 अप्रैल, 2013: पिछले कुछ दिनोंसे यात्रा पर हूं और जिस शहर में गया वहां उत्सुकतापूर्वक मैंने हिंदी के अखबार पढेÞ, ताकि जान सकूं कि उनमें किस तरह की खबरें छपती हैं। किसी भी दिन कोई ऐसा अखबार नहीं मिला, जिसमें जाति के विषय में खबर न छपी हो। जाति का सम्मलेन, जाति की प्रतिभाओं का सम्मान, जाति के किसी समारोह में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति, जबकि...
More »