जनसत्ता 24 अक्तूबर, 2013 : आजादी के बाद एक प्रयोग डॉ राममनोहर लोहिया ने राज्यों में संविद सरकार बनवाने का किया था, जो सफल भी रहा। इसका कारण था, उन्होंने सरकारों के लिए कुछ मानक तय किए थे। उदाहरण के लिए, जब थानू पिल्लै की सरकार ने छात्रों पर गोली चलाई गई तो उन्होंने सरकार से त्यागपत्र देने को कहा। इस पर मतभेद हो गया। लेकिन वे इस सिद्धांत पर...
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किले में सोना और स्विस बैंक में काला धन!- विनीत नारायण
इन दिनों भूगर्भ विभाग और भारतीय पुरात्तव विभाग उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में खुदाई में जुटे हैं। इसमें कोई नई बात नहीं। नई बात यह है कि इस खुदाई को लेकर पूरी दुनिया के मीडिया की निगाह उन्नाव पर लगी है। पीएसी खुदाई स्थल को घेरे खड़ी है। जनता कौतुहल भरी निगाहों से वहां पहुंच रही है। पीपली लाइव की तरह वहां बाजार लग गया है। यह सारा तूफान सोने...
More »सपनों के उत्पादन का धंधा- एम जे अकबर
भारतीय लोकप्रिय साहित्य में भूत-कथाओं को तवज्जो क्यों नहीं दी जाती? इसका सीधा-सा कारण है कि भारत में अखबारों के बीच काफी मारा-मारी है. ‘बेबुनियाद और असंभव’ की कल्पना के मामले में कौन सा लेखक दिन की खबरों से मुकाबला कर सकता है? भारत में, जहां खुद को भगवान घोषित करनेवाले बदमाशों की कमी नहीं है, क्या हमें भूत-कथाएं लिखनेवाले बाम स्टोकर या ड्रैक्यूला के किस्सों की कोई जरूरत है!...
More »समुद्र से तबाही के तूफान- संदीप निगम
चक्रवाती तूफान ‘फैलिन’ तबाही की कहानी लिख कर कमजोर पड़ चुका है. देश की वैज्ञानिक प्रगति, मौसम विभाग की सटीक भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकारों के बीच सही तालमेल ने साबित किया कि प्रकृति के कहर को रोका भले न जा सकता हो, लेकिन इसके असर को न्यूनतम किया जा सकता है. समुद्र से चक्रवाती तूफान उठने के कारणों और उसके विभिन्न प्रकार की जानकारी दे रहा...
More »ऊर्जा प्रदेश की खोज में- धीरेन्द्र शर्मा
करीब तीन महीने पहले उत्तराखंड में जब तबाही मची, तो एक राष्ट्र के रूप में हम ऐसी हिमालयी आपदा के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन तब भी कुछ पर्यावरणविदों ने यह घोषणा करने में देर नहीं लगाई कि अनियोजित मानवीय गतिविधियों ने इस आपदा को न्योता दिया है। कुछ ने कहा कि जलविद्युत परियोजनाओं ने मानव जीवन को खतरे में डाल दिया है। सुरंगों के लिए पहाड़ों में किए जाने वाले विस्फोट ने...
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