1. झारखंड की स्थापना का एक दशक पूरा हुआ। झारखंड के बारे में आपका मूल्यांकन क्या कहता है ? झारखंड की जनता ने अलग राज्य बनाने के लिए जब लडाई ठानी तो आस यह लगी थी कि राज्य बना तो उन्हें अपनी जिन्दगी संवारने के बेहतर मौके मिलेंगे।झारखंड की जनता के लिए यह एक तरह से मुक्ति-यज्ञ था।लेकिन हुआ इसके उलट, झारखंड की स्थापना से ताकत उन्हीं की बढ़ी जिनसे जनता...
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दो सौ दिन पढ़ाना जरूरी, भले ही रविवार को खोलो स्कूल
रेवाड़ी. प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों को साल में कम से कम दो सौ दिन कक्षाएं लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। भले ही इसके लिए रविवार को ही क्यों न पढ़ाना पड़े। इसके अलावा एक विद्यार्थी को सप्ताह में कक्षा में 35 घंटे की उपस्थिति जरूरी होगी। इससे पहले सरकारी स्कूलों मे 180 दिन का शैक्षिक वर्ष होता था। शिक्षा निदेशालय के इन नए नियमों का पालन न करने पर संबंधित...
More »फिर सरकार बनी तो हर गरीब परिवार को अनाज : नीतिश
सीतामढ़ी/शिवहर। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने कहा कि केंद्र बिहार के गरीबों के लिए अनाज दे या नही, परन्तु अगली बार सरकार बनी तो बिहार के लिए अलग से पैकेज बना कर हर गरीब परिवार को अनाज या अनाज के लिए पैसा दिया जायेगा। सीएम श्री कुमार ने कहा कि बिहार की आबादी 9 करोड़ है जिसमें 6 करोड़ गरीब है। 1.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे है। लेकिन केंद्र की...
More »गरीबी से तंग आकर बच्चों को आश्रम में छोड़ा
जागरण ब्यूरो, भोपाल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के कोरकू आदिवासी दुकाली ने गरीबी से तंग आकर अपने दो बच्चों को सारणी के एक आश्रम को दान कर दिया है। भोपाल से सटे हुए बैतूल आदिवासी अंचल की इस घटना ने केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं की कलई खोलकर रख दी है। यह घटना उस वक्त हुई जब राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों में भारतीय जनता पार्टी का...
More »मणिपुर के बच्चे कहाँ जाएं
मणिपुर में उग्रवाद और उग्रवाद के विरोध में जारी हिसंक गतिविधियों के चलते बीते कई दशकों से बच्चे हिंसा की कीमत चुके रहे हैं. यह सीधे तौर से गोलियों और अप्रत्यक्ष तौर से गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण की तरफ धकेले जा रहे हैं. राज्य में स्थितियां तनावपूर्ण होते हुए भी कई बार नियंत्रण में तो बन जाती हैं, मगर स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी ढ़ांचे कुछ इस तरह से चरमराए हैं...
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