दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...
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बहुत दुश्वारियां हैं बच्चों के स्कूल की राह में-- पंकज चतुर्वेदी
बीते कुछ साल के दौरान आम आदमी शिक्षा के प्रति जागरूक हुआ है, स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण बढ़ा है। साथ ही स्कूल में ब्लैक बोर्ड, शौचालय, बिजली, पुस्तकालय जैसे मसलों से लोगों के सरोकार बढ़े हैं। लेकिन जो सबसे गंभीर मसला है कि बच्चे स्कूल तक सुरक्षित कैसे पहुंचें, इस पर न तो सरकारी और न ही सामाजिक स्तर पर कोई विचार हो रहा है। आए दिन देश भर...
More »ऊर्जा जरूरतें बनाम विकास का रास्ता-- रमेश सर्राफ धमोरा
भारत में हर साल 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 लागू किया था। इस अधिनियम में ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों को इस्तेमाल में लाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी करना, पारंपरिक स्रोतों के संरक्षण के लिए नियम बनाना आदि शामिल था। भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने का मकसद लोगों को ऊर्जा के महत्त्व के...
More »CSDS सर्वे: यूपी में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के ज्यादा शिकार हुए पढ़े-लिखे हिंदू नौजवान
छह दिसंबर 1992 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला दिन है। इसी दिन अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को कारसेवकों की बेकाबू भीड़ ने गिरा दिया। उस घटना के 24 साल बाद भी उत्तर प्रदेश में कोई भी चुनाव उसके जिक्र के बिना पूरा नहीं होता। बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद यूपी में पूरी एक पीढ़ी जवान हो चुकी है लेकिन ये मुद्दा अभी भी राजनीतिक रूप...
More »कैशेलस राज्य बनने जा रहे गोवा के लोग अब भी खुले में शौच के लिए मजबूर
पणजी। पिछले दिनों खबर आई थी कि गोवा देश का पहला कैशलेस राज्य बनने की राह पर है। लेकिन इतना बड़ा तमगा लेने की राह पर जा रहे इस राज्य के 16 प्रतिशत घरों में रहने वाले अब भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं। आलम यह है कि यहां कई जगहों पर सार्वजनिक शौचालय तक नहीं है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार 1961 में गोवा में...
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