Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | ऊर्जा जरूरतें बनाम विकास का रास्ता-- रमेश सर्राफ धमोरा

ऊर्जा जरूरतें बनाम विकास का रास्ता-- रमेश सर्राफ धमोरा

Share this article Share this article
published Published on Dec 15, 2016   modified Modified on Dec 15, 2016
भारत में हर साल 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 लागू किया था। इस अधिनियम में ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों को इस्तेमाल में लाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी करना, पारंपरिक स्रोतों के संरक्षण के लिए नियम बनाना आदि शामिल था। भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने का मकसद लोगों को ऊर्जा के महत्त्व के साथ ही ऊर्जा की बचत के बारे में जागरूक करना है। ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को कम करके ऊर्जा की बचत करना है। कुशलता से ऊर्जा का उपयोग भविष्य के लिए इसे बचाना बहुत आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण की दिशा में अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए हर इंसान के व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण निहित होना चाहिए। उपभोक्ताओं को ऊर्जा की खपत कम करने के साथ ही कुशल ऊर्जा संरक्षण के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न देशों की सरकारों ने ऊर्जा और कार्बन के उपयोग पर कर लगा रखे हैं।

भारतीय संसद ने देश के ऊर्जा स्रोतों को संरक्षण देने के लिए ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 पारित किया है। यह अधिनियम ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा लागू किया गया है, जो भारत सरकार का एक स्वायत्तशासी निकाय है। यह अधिनियम पेशेवर, योग्य ऊर्जा लेखापरीक्षकों और ऊर्जा प्रबंधन, वित्त-व्यवस्था, परियोजना प्रबंधन और क्रियान्वयन में कुशल प्रबंधकों का एक कैडर बनाने का निर्देश देता है। ऊर्जा संरक्षण में ऊर्जा के कम या न्यूनतम उपयोग पर जोर दिया जाता है और इसके अत्यधिक या लापरवाहीपूर्ण उपयोग से बचने के लिए कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, ऊर्जा दक्षता का अभिप्राय समान परिणाम प्राप्त करने के लिए कम ऊर्जा खर्च करना है। भारत एक ऐसा देश है, जहां पूरे साल सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत में साल भर में लगभग तीन सौ दिनों तक तेज धूप खिली रहती है। इस मामले में भारत को अतिरिक्त रूप से प्राकृतिक लाभ प्राप्त है कि सौर ऊर्जा के लिए खिली धूप और पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। परमाणु ऊर्जा के लिए यहां थोरियम का अथाह भंडार और पवन ऊर्जा के लिए लंबा समुद्री किनारा उसके पास नैसर्गिक संसाधन के तौर पर उपलब्ध है। जरूरत है तो बस उचित प्रौद्योगिकी के विकास और संसाधनों का दोहन करने की।

अपने देश की ऊर्जा जरूरतों की मांग और आपूर्ति में बहुत बड़ा अंतर है। देश में बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा है। अगर इस समय बिजली संकट को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह भारत के विकास के लिए सबसे बड़ा अभिशाप सिद्ध हो सकता है, क्योंकि तरक्की का रास्ता ऊर्जा से ही होकर जाता है। सरकारें विकास के नाम पर औद्योगिक इकाइयों के विस्तार को बढ़ावा देने की कोशिश करती हैं, पर ऊर्जा जरूरतें पूरी न होने की वजह से इस दिशा में कामयाबी संदिग्ध बनी रहती है। अब वैकल्पिक ऊर्जा स्रेतों पर गंभीरता से विचार करते हुए ऊर्जा बचत के लिए जरूरी उपाय अपनाने पड़ेंगे। इस मायने में सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा अत्यंत महत्त्वपूर्ण विकल्प है। सौर ऊर्जा प्रदूषण रहित, निर्बाध गति से मिलने वाली सबसे सुरक्षित ऊर्जा है। अपने देश में यह लगभग बारहों महीने उपलब्ध है। सौर ऊर्जा को उन्नत करने के लिए हमें अपने संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। ऊर्जा के मामले में दूसरों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। अपनी तकनीक और संसाधनों का उपयोग कर आत्मनिर्भरता हासिल करनी ही होगी। यह अफसोस का विषय है कि हमने सौर ऊर्जा के उपयोग पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। निजी प्रयास से अपनी जरूरत भर की सौर ऊर्जा पैदा करना खर्चीला काम है, इसलिए लोग इसकी तरफ आकर्षित नहीं होते। हालांकि सरकारों ने सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के लिए छूट दे रखी है, पर जागरूकता के अभाव में इस तरफ लोग कदम नहीं बढ़ा पाते। परिस्थितियां विषम होने के कारण हमें सभी उपलब्ध अक्षय ऊर्जा विकल्पों पर विचार करना होगा। इसके साथ ही ऊर्जा संरक्षण के व्यावहारिक कदमों को अपनाना होगा, ताकि बड़े पैमाने पर बिजली की बचत हो सके।

देश की बढ़ती आबादी के उपयोग और विकास को गति देने के लिए हमारी ऊर्जा जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन उत्पादन में आशातीत बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। पुरानी बिजली परियोजनाएं कभी पूरा उत्पादन कर नहीं पार्इं और नई परियोजनाओं के लिए स्थितियां दूभर-सी हैं। बिजली के इस संकट को अगर अभी दूर नहीं किया गया, तो भविष्य संकटमय साबित होगा। दुर्भाग्यवश खनिज तेल पेट्रोलियम, गैस, उत्तम गुणवत्ता के कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधन हमारे यहां बहुत सीमित हैं। ऊर्जा की बचत के बिना हम विकसित राष्ट्र का सपना नहीं देख सकते। ऊर्जा बचत के उपायों को शीघ्रतापूर्वक और सख्ती से अमल में लाने की जरूरत है। इसमें हर नागरिक की भागीदारी होनी चाहिए। छोटे स्तर की बचत भी कारगर होगी, क्योंकि बूंद-बूंद से ही सागर भरता है। जब हम ऊर्जा के साधनों का इस्तेमाल सोच-समझ कर और मितव्ययिता से करेंगे, तभी ये भविष्य के लिए सुरक्षित रह पाएंगे। अंतत: जरूरत इस बात की है कि देश का प्रत्येक नागरिक इस दिशा में जागरूक हो, हर संभव ऊर्जा बचत करे और औरों को भी इसका महत्त्व बताए।

महात्मा गांधी कहते थे कि धरती मानव जाति की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराती है, मगर वह एक व्यक्ति के भी लालच को पूरा नहीं कर सकती। महात्मा गांधी का यह कथन इस तथ्य को उजागर करता है कि आजादी से पहले भी भारत में ऊर्जा संरक्षण के प्रति महापुरुष चिंतित थे और उन्हें ज्ञान था कि अगर समय रहते हमने ऊर्जा के स्रोतों का दोहन कम नहीं किया, तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे। आज हम जिन ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे दरअसल हमारे पूर्वजों द्वारा हमें दिया गया उपहार नहीं, बल्कि आने वाले कल से हमारे द्वारा मांगा गया उधार है। जिस तेजी के साथ हम प्राकृतिक और पारंपरिक ऊर्जा के स्रोतों का दोहन कर रहे हैं, उस रफ्तार से आज से चालीस साल बाद हो सकता है, हमारे पास तेल और पानी के बड़े भंडार खत्म हो जाएं। इस स्थिति में हमें ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों यानी सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे साधनों पर निर्भर होना पड़ेगा। लेकिन ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों को इस्तेमाल करना थोड़ा मुश्किल है और इस क्षेत्र में कार्य अभी प्रगति पर है। इन स्रोतों को इस्तेमाल में लाने के लिए कई तरह के रिसर्च चल रहे हैं, जिनके परिणाम आने और आम जीवन में इस्तेमाल लाने के लायक बनाने में अभी समय लगेगा।

इसे देखते हुए अगर हमने अभी से ऊर्जा के स्रोतों का संरक्षण करना शुरू नहीं किया, तो हालात बहुत बुरे हो सकते हैं और यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं होगा कि दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध पानी या तेल के भंडारों पर कब्जा जमाने के लिए हो। आज विश्व का हर देश कागजी स्तर पर तो ऊर्जा संरक्षण की बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन यही देश अकसर ऊर्जा की बर्बादी में सबसे आगे नजर आते हैं। अगर भारत की बात की जाए तो यहां विश्व में पाए जाने वाली ऊर्जा का बहुत कम प्रतिशत हिस्सा पाया जाता है, लेकिन इसकी तुलना में हम इसको कहीं ज्यादा खर्चा करते हैं।


http://www.jansatta.com/politics/jansatta-article-about-energy-need-and-development/208172/?utm_source=JansattaHP&utm_medium=referral&utm_campaign=politics_story


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close