नई दिल्ली [डॉ. ऋतु सारस्वत]। भारत अपनी स्वतंत्रता के छह दशक बिता चुका है और इन वर्षो में भारत में बहुत कुछ बदला है। विश्व के सबसे मजबूत गणतंत्र में सभी को अपनी इच्छा से जीने, सोचने और अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता मिली है, जिसका हम उपभोग भी कर रहे हैं। हालाकि एक वर्ग ऐसा भी है जो आज भी इस सुखानुभूति से वंचित है और वह...
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आम बजट 2011-12: खास-खास बातें
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था के वैश्विक आर्थिक संकट से पूर्व की स्थिति में पहुंचने का जिक्र करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 के लिए आम बजट पेश करते हुए भाषण की शुरुआत की। अपने शुरुआती भाषण में मुखर्जी ने कहा, 'हम उच्च विकास और चुनौतियों से भरपूर एक महत्वपूर्ण वर्ष के अंत में है। वर्ष 2010-11 में विकास दर अच्छी रही। अर्थव्यवस्था...
More »बिहार में बिना भवनों के चल रहे 8208 स्कूल
पटना. बिहार में 8208 प्राथमिक स्कूल बिना भवनों के चल रहे हैं। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डी पुरंदेश्वरी ने आज लोकसभा में डां रघुवंश प्रसाद सिंह के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी देते हुए बताया कि बिहार में 8208 प्राथमिक स्कूलों के भवन नहीं हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में 4496 स्कूल भवनों की पहले ही मंजूरी प्रदान की गयी है लेकिन सामुदायिक या सरकारी भूमि उपलब्ध नहीं होने...
More »किसानों का 18 से प्रदर्शन का ऐलान
अम्बाला. इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) के लिए प्रस्तावित 1852 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के फैसले पर सीएम ने 22 दिसंबर को किसानों को पुनर्विचार का आश्वासन दिया था। मगर उसके बाद कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिलने से खफा किसानों ने अब 18 जनवरी से जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन शुरू करने का ऐलान कर दिया है। पहले हफ्ते धरना शांतिपूर्ण रहेगा। उसके बाद भूख हड़ताल, जाम व पुतले जलाने के कार्यक्रम...
More »बा-सफा कोई नहीं : गोपालकृष्ण गांधी
‘यह सब राजनीति है’ या ‘राजनीतिज्ञों से आखिर और क्या उम्मीद कर सकते हैं।’ इस किस्म की बातें हम अक्सर सुनते हैं। खुद कहते भी हैं। ‘राजनीति’ और ‘राजनीतिज्ञ’ शब्द आज संकट में हैं। यह संकट खुद उन्होंने पैदा किया है। कुछ अपवाद भी हैं, ऐसे राजनीतिज्ञों के जो न तो परेशानी में हैं और न विवाद में। इसके लिए हम भगवान के शुक्रगुजार हैं। पर ऐसे अपवाद बहुत कम हैं।...
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