अर्थव्यवस्था के विकास में कुछ भयावह गड़बड़ी है. भारत आर्थिक उदारीकरण के 18 साल बाद बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है, लेकिन ऊंचे विकास के बल पर गरीबी हटाने और भुखमरी मिटाने के वायदे पूरे नहीं हो पाए हैं. वास्तव में, गरीबी और विषमता घटने के बजाय और बढ़ गई है. आर्थिक विकास जितना बढ़ रहा है उतनी ही गरीबी भी बढ़ रही है. गरीब प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के...
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वैद्य विशारद व आयुर्वेद रत्न नहीं कर पाएंगे इलाज
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीमकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से 1967 के बाद वैद्य विशारद व आयुर्वेद रत्न की डिग्री लेने वाले वैद्यों की डिग्री कानूनी नहीं है और इन लोगों को मरीजों का इलाज करने का अधिकार नहीं है। सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले से पिछले 43 वर्षों में हिन्दी साहित्य सम्मेलन से डिग्री लेकर मरीजों का इलाज कर रहे हजारों वैद्यों का बोरिया बिस्तर बंध जाएगा।...
More »रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज
नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...
More »ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसे संभली रही?- पाणिनी आनंद
ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने भी भारत को आर्थिक संकट के दौर में स्थिर रखने में मदद दी वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में जानी मानी अर्थशास्त्री जयति घोष कहती हैं कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार की पहली पारी गंभीर और सकारात्मक रही, वहीं दूसरी पारी में सरकार कम गंभीर नज़र आ रही है. उनका मानना है कि सरकार की कुछ तैयारियों और बदलावों के...
More »गरीबों को खाद्यान्न टिकट दिया जाए
नई दिल्ली। औद्योगिक संगठन फेडरेशन आफ इंडियन चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज [फिक्की] ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए सस्ते खाद्यान्न की बजाय सीधे खाद्यान्न टिकट जारी करना चाहिए। फिक्की ने कहा है कि जन वितरण प्रणाली [पीडीएस] के तहत गरीब परिवारों को सब्सिडी युक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने की वर्तमान व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिए क्योंकि इसमे कई स्तरों पर खामियां...
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