भोपाल। प्रदेश में 14.91 लाख परिवार ऐसे हैं जिसके पास अपना घर नहीं है। वे किराए के मकान में रह रहे है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में बड़े पैमाने पर कालोनियां विकसित हुई। सरकारी एजेंसियां हाउसिंग बोर्ड व विकास प्राधिकरण भी लोगों को आशियाना उपलब्ध कराने मैदान में हैं। बावजूद इसके पिछले दस सालों में नए मकानों का आंकड़ा पचास लाख से अभी बहुत दूर है। संयुक्त परिवारों...
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महंगी दवाओं का कारोबार- रामप्रताप गुप्ता
सरकार ने जब 2002 में दवा कीमत नीति का प्रकाशन किया था, जिसमें कीमत नियंत्रण की व्यवस्था के अंतर्गत शामिल दवाओं की संख्या को 76 से कम करने का प्रस्ताव था, तो कर्नाटक हाई कोर्ट में कुछ जनसंगठनों ने इसके विरुद्ध याचिका दायर की थी। कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में इस नीति पर रोक लगा दी थी। इस पर केंद्र सरकार ने इस निर्णय के विरुद्ध अपील की थी, तो...
More »चीनी मिलों की बढ़ रही मिठास
पटनाः चीनी उत्पादन के मामले में अपना खोया गौरव प्राप्त करने की ओर बिहार धीरे-धीरे बढ़ रहा है. पिछले कुछ वर्षो से बिहार में चीनी उत्पादन में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. इस वर्ष 15 मार्च तक राज्य की 11 चीनी मिलों में 40.44 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ. यह पिछले वर्ष इस अवधि तक हुए उत्पादन से 3.62 लाख क्विंटल अधिक है. इसी वर्ष शुरू...
More »भूमंडलीकरण का शब्दजाल- सुनील
साहित्य में कबीर की उलटबांसियां प्रसिद्ध हैं। गहरे से गहरे दार्शनिक रहस्यों को बताने के लिए कबीर जीवन के कुछ ऐसे विरोधाभासों का सहारा लेते हैं, जिनमें ऊपर से कुछ और दिखाई देता है, किंतु अंदर कुछ और होता है। वैश्वीकरण के साथ ही दुनिया में एक नई शब्दावली आई है, जो कुछ-कुछ उलटबांसियां जैसी ही हैं। जैसे वैश्वीकरण, भूमंडलीकरण, जगतीकरण या जागतिकीकरण को ही लें, जो ग्लोबलाइजेशन के विविध...
More »बढ़ती बेरोजगारी के बीच- गिरीश मिश्र
नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
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