यूनिकॉर्न के साथ मुश्किल यह है कि उनका कोई अस्तित्व नहीं होता। इनकी बस कल्पना की जा सकती है। अगर आप भी घोड़े की शक्ल और दोनों कानों के बीच माथे पर सींग निकले इस काल्पनिक जानवर को लेकर बुनी गई बेहतरीन कहानी पढ़ना चाहते हैं, तो मैं पीटर बीगल का उपन्यास द लास्ट यूनिकॉर्न पढ़ने की सलाह दूंगा। यह उन परेशानियों पर तत्काल रोशनी डालता है, जिनसे असली यूनिकॉर्न...
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घाटा, कर्ज का भीषण कांटा!-- अनिल रघुराज
कालेधन को साफ करने की जिस वैतरणी के लिए सरकार ने देश के 26 करोड़ परिवारों को तकलीफ की भंवर में धकेल दिया, वह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कर्मनाशा बनती दिख रही है. आइएमएफ जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन तक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटा कर 6.6 प्रतिशत कर दिया है, जबकि चीन का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ा...
More »बजट 2016-17 : बजट से उम्मीदें कुछ ठोस सी
नोटबंदी के बाद यह सबसे बड़ा आर्थिक अनुष्ठान है. इससे जनता को बहुत उम्मीदें हैं. उम्मीदें इसलिए हैं कि नोटबंदी के बाद जनता काफी परेशानी से गुजरी है. यह ठीक है कि नोटबंदी,नकद-न्यूनतम अर्थव्यवस्था भविष्य में अर्थव्यवस्था का भला करेगी, पर फौरी तौर पर तो उसने आम जनता यानी रोज कमाने-खानेवाले लोगों को परेशान ही किया है. इसका असर भी दिखाई पड़ा है. तमाम संगठनों ने 2016-17 के आर्थिक विकास...
More »नोटबंदी के एक माह बाद जनधन खातों से निकाले गए 5000 करोड़
जनधन खातों से नोटबंदी के करीब एक माह बाद 7 दिसंबर से 11 जनवरी के बीच 5,582.83 करोड़ रुपये की निकासी हुई है। जनधन खातों में कुल जमा 7 दिसंबर को 74,610 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। बाद में इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 11 जनवरी को यह घटकर 69,027.17 करोड़ रुपये पर आ गई। 7 दिसंबर से 11 जनवरी...
More »किसान-आत्महत्या : सबसे ज्यादा परेशान सीमांत और छोटे किसान !
मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की ! देश में खेती-किसानी का हाल कुछ ऐसा ही है. किसान-आत्महत्या के नये आंकड़े संकेत करते हैं कि बीते 2 सालों में देश में कृषि-संकट और ज्यादा गहरा हुआ है. खेतिहर मजदूर से ज्यादा किसानों की आत्महत्या एनसीआरबी की नई रिपोर्ट के मुताबिक एक साल के भीतर(2014 से 2015) किसान-आत्महत्या की संख्या में 41.7 फीसद का इजाफा हुआ है जबकि आत्महत्या करने वाले खेतिहर मजदूरों की संख्या में तकरीबन एक...
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