दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी का नाम पिछले दिनों अचानक सुर्खियों में आया, जब यह अधिसूचना जारी हुई कि राष्ट्रपति ने उन्हें अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के वर्गीकरण की पड़ताल के लिए बने आयोग का मुखिया बनाया गया है. आयोग में उनके अलावा तीन और सदस्य होंगे तथा सामाजिक न्याय मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव इसके सचिव होंगे. इस आयोग को बारह सप्ताह के अंदर...
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परदेस में शादी-- मनीषा सिंह
भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाएं अच्छे जीवन की चाह में विदेशी जमीन पर बसे या काम कर रहे दूल्हे से शादी के बाद होने वाली धोखाधड़ी की घटनाओं से बुरी तरह त्रस्त रही हैं। ऐसे मामलों की व्यापक पड़ताल के लिए गठित गोयल समिति ने अप्रवासी भारतीय दूल्हों को ब्याही हिंदुस्तानी लड़कियों की तकलीफों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को दी है, जिसमें पत्नी के साथ ज्यादती करने...
More »कभी करती थी मजदूरी, अब लखपति बन गई सतवंती
बालाघाट। कहते हैं जहां चाह है वहां राह है...कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बुदबुदा की एक महिला सतवंती ने। वह पहले मजदूरी करती थी लेकिन अब अपनी मेहनत से पूरे परिवार की तकदीर बदल दी। सतवंती ने रेशम की खेती शुरू कर दी है। जिस जमीन में वह सालभर मेहनत करके 30-35 हजार भी नहीं बचा पाती थी। अब सालाना 1 लाख रुपए मुनाफा कमा रही है। यह सब...
More »बिहार में बाढ़ की त्रासदी--- देवेश कुमार/ निखिल आनंद
बिहार में अगस्त के मध्य में आये बाढ़ से 19 जिलों के लगभग डेढ़ करोड़ लोग प्रभावित हुए. इस बाढ़ के आने के ठीक पहले ही राज्य की महागठबंधन राजनीति में आये भूचाल के कारण सत्ता समीकरण में जो परिवर्तन हुआ, उसका हैंगओवर फिलहाल मौजूद है. पूर्व के महागठबंधन सरकार में शामिल राजनीतिक दलों की एक-दूसरे के प्रति अपने आग्रहों एवं पूर्वाग्रहों को लेकर बयानबाजी की मसरूफियत बाढ़ की त्रासदी...
More »औपनिवेशिक दंश झेलती जनजातियां-- प्रमोद मीणा
वर्ष 1871 में औपनिवेशिक भारत में ब्रिटिश सरकार ने भारत की कुछ खानाबदोश और अर्द्ध खानाबदोश जनजातियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम (क्रिमिनल ट्राइबल एक्ट) पारित करके जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया। मुख्यधारा के समाजों से दूर रहने वाली इन जनजातियों को पुश्तैनी रूप से अपराधी मानते हुए उन्हें गैर-जमानती अपराध के दायरे में ला दिया गया। इन जनजातीय समुदायों में थे बावरिया, पारधी, कंजर, सांसी, बंजारा, गरासिया, सहरिया आदि। ये...
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