न तो संसद और न ही न्यायपालिका सर्वोपरि है. जो लोग यह दलील दे रहे हैं कि संसद सवरेपरि है, वे गलतबयानी कर रहे हैं. हमारे संविधान में स्पष्ट कहा गया है कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और इसकी जनता सर्वप्रधान है. इसके बाद ही किसी का स्थान आता है. एक लंबी लड़ाई के बाद देश अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुआ. संप्रभु राष्ट्र का दर्जा हासिल करने के बाद देश...
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लोकपाल: लालू ने पूछी अन्ना की हैसियत, आंदोलन को बताया बकवास
नई दिल्ली. जन लोकपाल बिल के लिए सरकार और टीम अन्ना में आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई है। गुरुवार को सरकार ने लोकसभा में बिल का मसौदा पेश कर दिया। उधर बिल पेश हुआ और इधर तबियत खराब होने के बावजूद अन्ना हजारे और उनके साथियों ने महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि में बिल की प्रतियां जला कर इसका विरोध किया। अब टीम अन्ना ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की चेतावनी...
More »‘विकास होता तो आत्महत्या नहीं करते किसान’
हिसार. मंडी आदमपुर. आरएसएस के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा कि सरकार के विकास के सभी दावे खोखले हैं। यदि सही मायने में देश में विकास होता तो किसान आत्महत्या नहीं करते। आजादी के 60 साल बाद देश में भुखमरी नहीं होती। वे बुधवार शाम गांव काबरेल में श्रीकृष्ण गौशाला, गौ संवर्धन एवं अनुसंधान केंद्र के शिलान्यास के मौके पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसान आज...
More »छत्तीसगढ़ में एसपीओ और सुप्रीम कोर्ट - कनक तिवारी
जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त होते बी. सुदर्शन रेड्डी और सुरेन्दर सिंह निज्जर की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए छत्तीसगढ़ शासन के उन आदेशों को निरस्त कर दिया है, जिनके अनुसार बस्तर में नक्सलियों से निपटने के लिए विशेष पुलिस कर्मी (एसपीओ) को भरती कर मजबूर, गरीब और लगभग अशिक्षित आदिवासी युवकों के हाथों में कथित आत्मसुरक्षा के नाम पर बंदूकें थमा दी गई थीं....
More »बालश्रम का कलंक- निशिकांत ठाकुर
आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी जो बातें भारत के लिए शर्म की बड़ी वजह बनी हुईं हैं बालश्रम को अगर उनमें सबसे ऊपर रखा जाए तो गलत नहीं होगा। आज भी हमारे देश में करोड़ों बच्चे खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में खेतों से लेकर होटलों और खतरनाक उद्योगों तक में अत्यंत विकट परिस्थितियों में जीतोड़ मेहनत करने के लिए मजबूर हैं। बेफिक्री की उम्र में ही उनके ऊपर इतनी...
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