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किसान मरे नहीं तो क्या करे--- देविंदर शर्मा

 भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...

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कृषि बीमा कंपनी ने दिया 46.9 करोड़ रुपये का फसल बीमा राशि

भुवनेश्वर। वर्ष 2009 खरीफ फसल बीमा के लिए उड़ीसा स्टेट को-आपरेटिव बैंक को भारतीय कृषि बीमा कंपनी की ओर से 46.9 करोड़ रुपये का चेक प्रदान किया गया है। सचिवालय में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की उपस्थिति में संपृक्त चेक बीमा कंपनी की ओर से बैंक को प्रदान किया गया। गौरतलब है कि 2009 खरीफ ऋतु में राज्य के 10 लाख किसानों ने बीमा कराया था। जिसमें से फसल नष्ट होने के चलते लगभग 1...

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सीआईआई बनाएगा कृषि को मुनाफे वाला

अगले कुछ बरसों के भीतर राज्य में कृषि उत्पादन को दोगुना करने के उत्तर प्रदेश सरकार के लक्ष्य से प्रेरणा लेते हुए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने प्रदेश में वृहद आयोजनों की योजना बनाई है, जो कि किसान और कृषि अर्थव्यवस्था पर आधारित होंगे। इसके तहत सीआईआई प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दो कृषि संबंधी सम्मेलन का आयोजन राज्य सरकार के सहयोग से करेगी। सम्मेलन में इस बात पर मंथन किया जाएगा कि किस तरह कृषि...

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मानसून से पहले लहलहाई अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अमेरिका व अन्य विकसित यूरोपीय देश अच्छी आर्थिक वृद्धि के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में बीते वित्ता वर्ष 2009-10 की आखिरी तिमाही में भारत की विकास दर साढ़े आठ फीसदी को भी पार कर गई है। केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को जारी ताजे आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्ता वर्ष की अंतिम तिमाही [जनवरी-मार्च, 2010] में सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की वृद्धि दर 8.6 फीसदी रही है। अंतिम तिमाही के...

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रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज

नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...

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