उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्बन्धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...
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करावलनगर की वॉकर फ़ैक्ट्रियों में मज़दूरों के हालात
उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में करावलनगर के औद्योगिक इलाके और उससे लगे क्षेत्र में वॉकर (छोटे बच्चों को चलने में मदद करने वाली साइकिल) और पालना बनाने वाली 14-15 छोटी-छोटी फ़ैक्ट्रियाँ हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियों में 10-15 मज़दूर और कुछ में 30-40 मज़दूर काम करते हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियाँ दलित बस्ती में हैं, कुछ करावलनगर गाँव, पंचाल विहार और दयालपुर में स्थित हैं। इनमें काम करने वाले ज़्यादातर मज़दूर झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश से आये प्रवासी...
More »दर्जनों महिलाओं की कोख पर बेशर्म डॉक्टरों ने पोती कालिख
रायपुर. पैसों के लालच में जरूरत न होते हुए भी महिलाओं के गर्भाशय निकालने वाले डॉक्टरों की करतूत स्वास्थ्य विभाग के सामने उजागर हो गई। गुरुवार को विभाग के डॉक्टरों ने अभनपुर के मानिकचौरी, हसदा और डोंगीतराई गांवों में पीड़ित महिलाओं की जांच की। इस दौरान 25-30 साल की ऐसी कई महिलाएं मिलीं, जिनके गर्भाशय केवल पैसे कमाने के लिए निकाले गए। डॉक्टर इस बात से भी हैरान थे कि किसी भी महिला...
More »11 साल में पांच गुना बढ़े मनोरोगी- मनोज सिंह की रिपोर्ट(प्रभात खबर)
* जनसंख्या की वृद्धि दर 23 फीसदी, मनोरोगियों की 116 फीसदी रांची : झारखंड में पिछले 11 सालों में मनोरोगियों की संख्या में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है. मनोरोगियों की वृद्धि दर 116 फीसदी के करीब है. यह राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर से पांच गुना अधिक है. पुरुष मनोरोगियों की संख्या में वृद्धि दर पांच गुना से कुछ नीचे है. जबकि महिला मनोरोगियों में यह दर सात गुना से...
More »गुजरात के इन गांवों में कोई नहीं ब्याहना चाहता अपनी बेटी
राजपीपला। गुजरात की जीवन-रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी के डेम से कुछ ही दूरी पर स्थित होने पर भी यहां के दो गांवों में पीने का पानी नहीं है। पानी की यहां इस कदर किल्लत है कि अन्य गांव के लोग इन गांवों में अपनी बेटी ब्याहने तैयार नहीं होते हैं। राजपीपला शहर के पास स्थित इन दो गांवों के नाम हैं देवलिया और जैतपुर। आजादी के 63 वर्षो के...
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