सिरचन के नखरे भी गांव के लोग खुशी-खुशी उठाते थे. उसकी झोपड़ी के आगे ब.डे-ब.डे लोगों की सवारी बंधी रहती थी. लोग उसकी खुशामद करते थे. उसकी इज्जत करते थे. वह न तो साधु था, न साहूकार. न ऊंचे पद पर था, न ऊंजी जाति का. उसकी जाति तो कारीगर की थी. ऐसा कारीगर, जो कुशल था, जिसके हाथ में हुनर था. फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘ठेस’ का यह सेंट्रल...
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भूमिहीन परिवार बनें जमीन के मालिक
वनाधिकार पट्टा योजना इस योजना के तहत सरकार वैसे आदिवासी परिवारों को बसने और जीवन यापन के लिए वनभूमि पर अधिकार का पट्टा देती है, जिस भूमि पर कोई आदिवासी परिवार लंबे समय से बसा हुआ हो. इस तरह की जमीन अहस्तांतरणीय और गैर व्यावसायिक होती है. यानी पट्टे पर मिली वन भूमि पर आदिवासी परिवार घर बना कर खुद रह सकता है और उस जमीन पर खुद के खाने लायक...
More »पंचायतों निकायों को मिली पशुपालन व मत्स्य विभाग की जिम्मेवारी
निधि (पैसों) पर सिर्फ जिला परिषद का अधिकार कार्य व कर्मी की जिम्मेवारी तीनों स्तरों पर बांटी गयी झारखंड सरकार ने पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के अंतर्गत पशुपालन, गव्य विकास व मत्स्य विभाग से संबंधित अधिकार पंचायत निकायों को सौंपे हैं. इससे पूर्व समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग, कृषि एवं गन्ना विभाग, शिक्षा विभाग सहित कुछ अन्य विभागों के अधिकार पंचायत निकायों को स्थानांतरित किये गये हैं. एक जून 2013...
More »बिहार की विकास दर बढ़ कर 14 फीसदी पहुंची
पटना: बिहार की विकास दर में बढ़ोतरी हुई है. 2013-14 में यह 14 प्रतिशत के करीब पहुंच गयी है. प्राथमिक सेक्टर में विकास दर में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. इस मामले में बिहार ने गुजरात और महाराष्ट्र जैसे विकसित प्रदेशों को भी पीछे छोड़ दिया है. राष्ट्रीय विकास दर की तुलना में बिहार की विकास दर दोगुना से अधिक है. 2011-12 की तुलना में करीब एक प्रतिशत विकास दर...
More »बदलते बिहार में मिड-डे मील- अश्विनी कुमार
मिड-डे मील से बच्चों की मौत ने न केवल देश की अंतरआत्मा को झकझोरा है, बल्कि बिहार में सुशासन व चमत्कारिक विकास की कमजोर नींव को भी उजागर किया है. पहले बगहा में 6 थारू आदिवासियों की पुलिस फायरिंग में मौत, फिर बोधगया आतंकी हमले के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन में नौकरशाही के सहारे शासन चलाने के आरोप से बचने के लिए संभवत: सबसे कठिन हालात का...
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