यवतमाल. देश की जनता दरिद्रता, बीमारी, भूख, कुपोषण से पीड़ित है। सभी तरह से बेहाल है फिर भी देश के नेताओं ने जनता को चूस-चूसकर भ्रष्टाचार के माध्यम से थोड़ा नहीं बल्कि 4 लाख करोड़ रु. का काला धन विदेशी बैंक में जमा कर रखा है। इस काला धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर देश में लाना जरूरी है। इस राष्ट्रीय संपत्ति का उपयोग करने से देश सिर्फ बलवान ही नहीं...
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जचकी होने दो साहब.. पति को बुलवा लूंगी : प्रशांत बहादुरे
नागपुर। समय, सुबह 8 से 9 बजे। मेडिकल अस्पताल के वार्ड 12 का प्रवेशद्वार। नन्हे बच्चे के सहारे द्वार के पास खड़ी महिला प्रसव वेदना को जैसे-तैसे सह रही थी। उसका पूरा जोर इस बात पर था कि अस्पताल के साहब उसकी फरियाद सुन ले। प्रसव के लिए उसे वार्ड में दाखिला मिल जाये, लेकिन नियम की बाधा उसके समक्ष खड़ी थी। पति की अनुपस्थिति में उसे प्रसव के लिए दाखिला...
More »'यह वह छत्तीसगढ़ तो नहीं जिससे मुझे इतना गहरा लगाव रहा है'-- इलिना सेन
- इलिना सेन (सामाजिक कार्यकर्ता और डॉ बिनायक सेन की पत्नी ) आज, एक तरफ मैं बहुत खुश हूं और राहत की सांस ले रही हूं कि इस कठिन परीक्षा का यह हिस्सा लगभग समाप्त हो गया है. वहीं दूसरी ओर मैं बहुत बेचैन भी हूं- हमने देखा है कि राज्य का व्यवहार कितना शत्रुतापूर्ण रहा है. लेकिन हमने जिस तरह का जीवन बिताया है, न तो उसके बारे में कोई...
More »फिर जीवित होगा किसान आयोग : राजेश दुबे
भोपाल. प्रदेश में किसानों की हालत सुधारने के लिए सरकार ने मप्र कृषक आयोग को फिर से जीवित करने के साथ ही किसान विकास परिषद बनाने का फैसला लिया है। हाल ही में मुख्यमंत्री चौहान ने कृषि विभाग की समीक्षा के दौरान आयोग को फिर से गठित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कृषि विकास परिषद के गठन पर भी सहमति जताई। यह परिषद कृषि की नई तकनीक,शोध एवं अनुसंधान पर जोर...
More »शख्शियत बड़ी या संदेश- राजदीप सरदेसाई
‘क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में चुनाव कैसे होते हैं? पिता के लिए शराब, मां के लिए कपड़े और बच्चे के लिए भोजन।’ ‘आखिर इस देश में क्या भ्रष्ट नहीं है? भारत का केंद्रीय व्यसन या दोष भ्रष्टाचार है; भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी है चुनावी भ्रष्टाचार; और चुनावी भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी हैं कारोबारी घराने।’ उपरोक्त उक्तियां अन्ना हजारे द्वारा कही गई बातों जैसी लगती हैं। हालांकि ये बातें...
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