अगर आरटीआई की आपकी अर्जी मध्यप्रदेश सूचना आयोग में लंबित है तो फिर आपका धीरज पहाड़ जैसा होना चाहिए ! मामलों के निस्तारण की मौजूदा दर के हिसाब से प्रदेश के आयोग को आपकी अर्जी का निबटारा करने में साठ साल लग जाएंगे। और, अगर आपकी अर्जी विचार के लिए पश्चिम बंगाल के सूचना आयोग के लिए पड़ी है तो फिर आयोग की कछुआ चाल को देखते हुए कहा जा सकता...
More »SEARCH RESULT
25 करोड़ की योजना में लगे 10 अरब
पटना। विभागीय लापरवाही, लाल फीताशाही और लेटलतीफी के दलदल से निकलकर करीब चार दशक बाद दुर्गावती जलाशय परियोजना जनता की सेवा के लिए तैयार है। 10 जून 1976 को 25.30 करोड़ रुपये लागत के अनुमान के साथ शुरू हुई योजना पर अब तक आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और मुकम्मल तौर पर 1064.28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। परियोजना का उद्घाटन बुधवार 15 अक्टूबर को होगा। रोहतास और कैमूर...
More »SUGAR CRISIS: किसानों काे होगा पहले भुगतान, SC में बैंकों की याचिका खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एसबीआई और पीएनबी की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें बैंकों ने उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा अपना स्टॉक बेचकर मिलने वाली राशि पर पहले अपना हक जताया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका रद्द कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया है, जिसमें चीनी मिलों से कहा गया है कि वे अपना स्टॉक बेचकर पहले किसानों का बकाया...
More »मनरेगा पर नयी सरकार की सोच - चंदन श्रीवास्तव
किसी एक को या कुछ एक को मिले तो वह ‘दान' या फिर ‘उपहार' कहला सकता है, अधिकार नहीं. देनेवाले ने दया-दृष्टि से दिया तो ‘दान' और अगर चुनने-छांटने के मामले में अपने को आजाद मान कर दिया, तो ‘उपहार'. अधिकार न तो ‘दान' होता है और ना ही ‘उपहार', वह एक गुण की तरह है. जैसे दाल में नमक डालने से दाल के कण-कण नमक से भींग जाते हैं,...
More »बे-कायदा क्यों हों कैदखाने? - गोपालकृष्ण गांधी
अदालती फैसलों की कानूनी वजहें होती हैं। अदालतें बहुत सोच-समझकर, ध्यान से, अपने नतीजों पर आती हैं। उन्हें हमें बाइज्जत कुबूल करना चाहिए। उन पर अगर हमें कुछ कहना हो तो वह बहुत समझ-बूझकर, ध्यान से ही कहना चाहिए। वैसा ही इस छोटे-से रिसाले में करना चाहूंगा। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता-जी के 'केस" पर मैं कुछ नहीं कह सकता। अव्वल, मैं उस मामले की तफसीली अंतर्वस्तुओं से वाकिफ ही नहीं। अच्छा ही है!...
More »