-न्यूजक्लिक, यह एक जारी श्रृंखला की 39वीं रिपोर्ट है जो ग्रामीण भारत के जीवन पर कोविड-19 से संबंधित नीतियों से पड़ने वाले प्रभावों की झलकियाँ प्रदान करती है। सोसाइटी फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक रिसर्च की ओर से जारी इस श्रृंखला में विभिन्न विद्वानों की रिपोर्टों को शामिल किया गया है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में गांवों के अध्ययन को संचालित कर रहे हैं। रिपोर्ट उनके अध्ययन में शामिल गांवों में...
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बुंदेलखंड: पलायन की इनसाइड स्टोरी, ललितपुर में खदानें बंद होने से 50 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार
-गांव कनेक्शन, ललितपुर जिले के मादौंन गांव की रैना सहारिया (40 वर्ष) उन हजारों प्रवासियों में से एक हैं, जो किसी तरह जद्दोजहद कर घर वापस तो आ गईं लेकिन खुश नहीं हैं। वो पहली बार कमाने के लिए अपने दो लड़कों के साथ घर से बाहर निकली थीं और लॉकडाउन की मुसीबत आ गई। रैना को चिंता कोरोना की नहीं, अपना घर चलाने की हैं, क्योंकि जहां उनका घर है...
More »‘ग़रीबी ऐसी है कि मेरे मरने के बाद परिवार के पास अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं होंगे’
द वायर, ‘उई दिन अच्छे भले उठल रहलन. खाना बनाइके हम पूछलीं कि खा लेईं. बोलनन अभी नाहीं खाइब. नहा के खाइब. नहाइन धोइन अउर बिना कछु कहले बाहर निकल गइन. हम समझी बीड़ी लेवे गइल होइहें. जबसे घर आइल रहिस बहुते कम बाहर जाइस. कभो कभार खाली बीड़ी लेवे बाहर निकलैं. खाना परोस हम राह देख लगौं. देर होके लगी तो पता कइनी कि कहीं भाई के घर त नाहीं...
More »कोई तूफान यों ही गुजर नहीं जाता है
-न्यूजलॉन्ड्री, तब ‘अम्फान’ आ कर गुजर गया था; अब ‘निसर्ग’ आ कर गुजर गया है. राहत की आवाज सुनाई दे रही है कि चलो, गुजर गया. हिसाब यह लगाया जा रहा है कि ‘अम्फान’ ओडिशा से कट कर निकल गया; ‘निसर्ग’ ने मुंबई के चेहरे पर कोई गहरी खरोंच नहीं डाली. तूफान कमजोर पड़ गया. कैसे इसका हिसाब लगाया आपने कि तूफान कमजोर पड़ गया? जवाब तुरंत आता है: मौत के...
More »नागरिक को अर्द्ध नागरिक में बदलता समय
-लोकवाणी, लॉकडाऊन के सवा दो माह गुजरने के बाद जब कोई सवाल ये पूछे तो कि देश ने क्या खोया-क्या पाया तो एक खस्ताहाल आम नागरिक का और क्या जवाब होगा भला सिवाय मी’र के इस शे’र के कि ‘उलटी हो गई सब तदबीरें कुछ ना दवा ने काम किया—देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आखिर काम तमाम किया’ ? लॉकडाऊन के बीते दिनों के बारे में बस इतना भर कहा जा सकता...
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