जीवन के मूल संसाधनों को लेकर कही गई पुरानी कहावतें आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा सही लगती हैं। मिट्टी भी उनमें से एक है। माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदें मोय, इक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूगी तोय। यह दोहा आज सटीक बैठ रहा है। मिट्टी के मोल अब पुराने नहीं रहे। यह भी अन्य प्राकृतिक संसाधनों की तरह विलुप्त होती जा रही है। यह संकट बड़ा है, क्योंकि...
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गेहूं खरीद को रिजर्व बैंक ने जारी किए 5900 करोड़
भोपाल। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी और इस प्रक्रिया के संचालन के लिए रिजर्व बैंक ने मंगलवार को 5.900 करोड. रुपए की साख-सीमा जारी कर दी है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने कुल 11 हजार करोड़ रुपए की मांग की थी। रिजर्व बैंक ने पहली किश्त के बतौर फिलहाल अप्रैल माह की खरीद के लिए यह राशि दी है। आगे जैसे-जैसे जरूरत पडे़गी और धनराशि दी...
More »खेती की उपेक्षा और खाद्य सुरक्षा- भारत डोगरा
जनसत्ता 21 मार्च, 2012: लोकसभा में पिछले वर्ष प्रस्तुत किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक से कोई सहमत हो या असहमत, पर इसके महत्त्च से इनकार नहीं किया जा सकता। मौजूदा रूप या इससे काफी मिलते-जुलते रूप में यह विधेयक पारित हो गया तो आने वाले अनेक वर्षों तक इसका हमारी खाद्य और कृषि व्यवस्था पर बहुत व्यापक असर पड़ेगा। इसलिए इस विधेयक से संबंधित जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे...
More »बीज में छिपी है खाद्य संप्रभुता- वंदना शिवा
यदि किसानों के पास अपना बीज न हो या मुक्त परागण किस्मों तक उनकी पहुंच न हों, जिसे वे सुरक्षित रख सकें या जिसका वे विनिमय कर सकें, तो उनके पास बीज संप्रभुता नहीं होगी। नतीजतन उनके पास खाद्य संप्रभुता भी नहीं होगी। गहराते कृषि एवं खाद्य संकट की जड़ें बीज आपूर्ति प्रणाली में हो रहे बदलाव और बीज विविधता व बीज संप्रभुता के क्षरण में निहित है। क्योंकि खाद्य...
More »गेहूं खरीद में आ सकती है मुश्किल : दीपक मौदगिल की रिपोर्ट
पटियाला. गेहूं के आगामी खरीद सीजन में पंजाब की नई अकाली-भाजपा सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। राज्य की तीन सरकारी फूड एजेंसियों पंजाब एग्रो फूड कापरेरेशन, पनसप और पंजाब वेयरहाउस कापरेरेशन के स्टाफ में सरकार की रिकवरी नीति के प्रति नाराजगी इसका कारण बन सकती है। इन एजेंसियों की संयुक्त रूप से गठित फूड ग्रेन एजेंसीज कोआर्डिनेशन कमेटी ने इस बारे में इस सप्ताह के अंत...
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