वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पर संसद में हुई बहस का जवाब देते हुए इस सोच का खंडन किया है कि गरीब समर्थक और कारोबार समर्थक नीतियों में कोई फर्क होता है। उन्होंने पूरी विनम्रता से स्वीकार किया है कि उनका बजट गरीब समर्थक भी है और कारोबार समर्थक भी। यह बात लगभग उसी तरह की है, जैसे यह कहा जाए कि एक तरफ जगदीश भगवती और अरविंद पणगरिया...
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प्रदर्शनी की वस्तु नहीं हैं जारवा आदिवासी
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2002 में लगाई गई पाबंदी के बावजूद क्या अंडमान की जारवा जनजाति के लिए संरक्षित इलाकों में जारवा पर्यटन को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है? अगर अंडमान ग्रैंड ट्रंक रोड पर वाहनों की बढ़ती कतारें देखें, तो कुछ ऐसा ही समझ में आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही जारवा आदिम जनजाति के इलाकों में पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए...
More »बबुआ से बड़ा झुनझुना- विनोद कुमार
जनसत्ता 21 जुलाई, 2014 : आजादी के बाद हमने वयस्क मताधिकार पर आधारित भारतीय गणराज्य की स्थापना की। मूल अवधारणा यह रही कि हम एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जिसके केंद्र में रहेगा देश का नागरिक। विधायिका उसके हित में कानून बनाएगी, कार्यपालिका उन कानूनों के दायरे में नागरिकों को एक विधि-सम्मत सुशासन मुहैया कराएगी, सेना बाह्य दुश्मनों से देश की सुरक्षा की गारंटी करेगी, पुलिस नागरिकों के जान-माल की रक्षा करेगी।...
More »सौर ऊर्जा ही बनेगी विकल्प
उत्तर भारत में, खासकर गर्मियों में, बिजली की समस्या काफी गंभीर हो जाती है. राज्यों की विद्युत उत्पादन क्षमता काफी सीमित है. ऐसे में केंद्रीय पूल से निर्धारित किये गए कोटे से ही राज्यों को मिलने वाली बिजली पर संतोष करना पड़ता है. कभी-कभी तो इसमें भी कटौती की जाने लगती है. ऐसे में बिजली कटौती, लोगों का जीना मुहाल कर देती है. ज्यों- ज्यों विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तरक्की की...
More »दूरसंचार की दूसरी क्रांति- गोपाल विट्ठल
लगभग 75 फीसदी क्षेत्र और 90 फीसदी आबादी तक पैठ जमाकर मोबाइल ने देश के कोने-कोने में अपनी असरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। आधुनिकतम तकनीकों, न्यूनतम शुल्क दरों और अनूठे बिजनेस मॉडलों के जरिये भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि जोश, कुशलता और उद्यमिता की बदौलत विश्व स्तर के उद्योग को कुछ ही वर्षों में कैसे खड़ा किया जाता है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच...
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