रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [मनरेगा] का यहां के जन जीवन पर असर को लेकर जानकारी एकत्र करने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यहां बताया कि मनरेगा योजना के प्रारंभ से लेकर अब तक पिछले पांच सालों में छत्तीसगढ़ में हुए विकास कार्यों का जन-जीवन पर क्या असर हुआ है इसकी जानकारी राज्य शासन द्वारा संकलित की...
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गंदा है, पर धंधा है- विमलेश मिश्र
विमलेश मिश्र, जमशेदपुर : ये दूसरों की गंदगी साफ करते, मगर खुद नारकीय जीवन जी रहे हैं। गंदगी साफ करते-करते चर्म, टीबी व कुष्ठ जैसे असाध्य रोग इन्हें घेर लेते हैं। अनुसूचित जाति के हैं, मगर सुविधा कुछ को ही। पहले सफाई के लिए सरकार या कंपनी से नौकरी मिल जाती थी, अब ठेकेदार से मिलने वाली मजदूरी पर जीवन टिका है। संसद ने कानून बना सिर पर मैला ढोने...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
More »ठंड से आधा गांव बीमार
जबलपुर. ठंड के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी जनजीवन किस हद तक अस्त-व्यस्त हो चला है, इसकी बानगी शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम रैगवां में देखने को मिलती है, जहां मौसम की मार के चलते ग्रामीणजन न तो चैनपूर्वक जी पा रहे हैं और न ही ठीक तरह से अपने दैनिक कार्य निपटा पा रहे हैं। पूरा क्षेत्र भीषण ठंड की चपेट में है एवं बच्चों से लेकर...
More »राष्ट्रद्रोह, राजद्रोह और जनविद्रोह -- कनक तिवारी
विनायक सेन के मामले में चुप रहना उचित नहीं होगा. मैं ज़मानत आवेदन के सिलसिले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में उनका वकील रह चुका हूं. इसलिए मुझे अच्छी तरह मालूम है कि उस स्थिति में विनायक सेन के विरुद्ध पुलिस की केस डायरी में ऐसा कुछ नहीं था कि प्रथम दृष्टि में मामला भी बनता. यह अलग बात है कि हाईकोर्ट ने उनकी ज़मानत मंजूर नहीं की जो बाद में लगभग...
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