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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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खबरों का ग्रीनहंट! : अरुंधति राय

भारत सरकार एक ओर जब देश के गांवों में सेना और वायुसेना तैनात कर लोगों के संघर्ष को दबाने पर विचार कर रही है तो दूसरी ओर शहरों में कुछ विचित्र घटनाएं देखने में आ रही हैं। बीते 2 जून को मैंने मुंबई में कमेटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (सीपीडीआर) द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। अगले दिन तमाम अखबारों और टीवी चैनलों पर इसकी सही कवरेज हुई। इसी दिन...

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19 करोड़ की आबादी के लिए नहीं मिल रहे 27 लोग

नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। देश में अल्पसंख्यकों की आबादी करीब 19 करोड़ है। इस वर्ग से संबंधित सरकारी कामकाज के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में 93 पद स्वीकृत हैं लेकिन इतने अधिकारी व कर्मचारी भी केंद्र सरकार को मिल नहीं पा रहे हैं। इनमें से 27 पद अब भी खाली पड़े हैं। अल्पसंख्यकों, खास तौर से मुसलमानों की तालीम, तरक्की, सामाजिक व आर्थिक स्थिति पर खास फोकस...

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जिनके गीतों में है गिरमिटिया की संघर्ष गाथा

गोपालगंज [जासं]। सात समुंदर पार से वर्षो बाद अपने 'पुरखों' के देश में आयीं मरीशस की हुसिला देवी उर्फ प्रतिभा भारत व बिहार की मिट्टी की सुगंध को नहीं भुला सकी हैं। गोपालगंज प्रवास के दौरान मारीशस के राष्ट्रपति अनिरुद्ध जगरनाथ की पत्नी की बहन हुसिला ने कहा कि हालात ऐसे थे कि अपनी मिट्टी और अपना देश छूट गया, लेकिन मन के कोने में अपनी मातृभाषा की जड़...

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रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज

नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...

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