मॉनसून के अस्थिर मिज़ाज की मार सहती खेती के इस वक्त में आई एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में सिंचाई का आधारभूत ढांचा ठहराव का शिकार है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैटिक्स 2014 के तीसरे अंक में कहा गया है कि सिंचाई के आधारभूत ढांचे पर खर्च बढ़ा है लेकिन सकल सिंचाई संभावनाओं(ग्रॉस इरीगेशन पोटेंशियल) के इस्तेमाल के मामले में विशेष प्रगति नहीं हुई है।(देखें नीचे रिपोर्ट...
More »SEARCH RESULT
मलेथा ने एक बार फिर सबको राह दिखाई- अनिल प्रकाश जोशी
माधोसिंह भंडारी ने कभी नहीं सोचा था कि वह जिस गांव में पानी लाने के लिए अपना जीवन लगा देगा और अपने पुत्र की बलि भी दे देगा, सरकार उसी गांव को प्रदूषण की बलि चढ़ा देगी। सोलहवीं शताब्दी में उत्तराखंड के गांव मलेथा में माधोसिंह भंडारी ने एक ऐसा इतिहास रचा, जो हर सदी में याद किया जाएगा। यह गांव कुछ भी पैदा करने में असमर्थ था, क्योंकि यहां...
More »क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई
लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...
More »भारत में भूखों की संख्या घटी, पाक में बढ़ी
नयी दिल्ली : भूख की मार झेल रहे लोगों की संख्या भारत में 9.5 प्रतिशत घट कर 19.07 करोड़ पर आ गयी, जो दो दशक पहले 21.08 करोड़ थी. वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान में ऐसे लोगों की संख्या इस अवधि में 38 प्रतिशत तक बढ़ गयी है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. हालांकि दक्षिण एशिया में सबसे अधिक भूखे लोगों के मामले में भारत (19.07 करोड)...
More »अमेरिका में एक करोड़ की आबादी प्रतिदिन दो डॉलर से भी कम में जीने को मजबूर
वॉशिंगटन। भारत की 80 फीसदी आबादी के बारे में अक्सर कहा जाता है कि ये लोग प्रतिदिन दो डॉलर से भी कम में जीवन यापन करते हैं। लेकिन अब ऐसी ही खबर अमेरिका से भी आने लगी हैं। यहां एक करोड़ लोग प्रतिदिन दो डॉलर में यानी 120 रुपए के खर्च के साथ जीते हैं। ऐसे लोग फूड स्टाम्प, सामाजिक कल्याण और स्कूलों में दिए जाने वाले मुफ्त भोजन पर...
More »