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जीन का जिन्न-- देविंदर शर्मा

एक बार जीन बाहर आ जाए तो इसे रोकने का कोई रास्ता नहीं है.   इसका लंबे समय से डर था. सामाजिक कार्यकर्ता और सजग वैज्ञानिक इसकी चेतावनी दे चुके थे, किंतु सरकार ने आंखें मूंदे रखीं. अब डर सच साबित हो चुका है. इसने पर्यावरण प्रदूषण के एक और विनाशकारी रूप-जीन प्रदूषण पर चिंता बढ़ा दी है. जीएम धान दिल्ली के एक अनुसंधान संगठन 'जीन कैंपेन' ने पता लगाया है कि बीज कंपनी...

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बेलगाम महंगाई पर अब लगेगी लगाम!

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। महंगाई को रोकने की हर कोशिश नाकाम होने के बाद केंद्र सरकार को कृषि तथा मैन्यूफैक्चरिंग दोनों क्षेत्रों से खुशखबरी मिली है। वर्ष 2009-10 की तीसरी तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में जहां कृषि विकास दर में ढाई फीसदी का इजाफा हुआ है और यह बढ़कर 0.7 फीसदी पर पहुंच गई है। वहीं मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में वृद्धि दर 13.8 से बढ़कर 16.3 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे अंतिम तिमाही में जीडीपी...

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बुद्धि की मंदी है : मुद्दों का न होना- पी साईनाथ

कम-से-कम दो प्रमुख अखबारों ने अपने डेस्कों को सूचित किया कि 'मंदी' (recession) शब्द भारत के संदर्भ में प्रयुक्त नहीं होगा। मंदी कुछ ऐसी चीज है, जो अमेरिका में घटती है, यहां नहीं. यह शब्द संपादकीय शब्दकोश से निर्वासित पडा रहा. यदि एक अधिक विनाशकारी स्थिति का संकेत देना हो तो 'डाउनटर्न' (गिरावट) या 'स्लोडाउन' (ठहराव) काफी होंगे और इन्हें थोडे विवेक से इस्तेमाल किया जाना है. लेकिन मंदी को नहीं. यह मीडिया के दर्शकों के...

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स्थानीय निकायों को 1300 करोड़ का अनुदान

प्रदेश के स्थानीय निकायों की खराब आर्थिक स्थिति और इस कारण बंद हो चुके विकास कार्यो को गति देने के लिए 13वें वित्त आयोग ने अपने खजाने का मुंह खोल दिया है। इसी के मद्देनजर ने निकायों को अगले पांच वर्षो के लिए लगभग 1300 करोड़ रुपए का अनुदान देना मंजूर किया है, जो पिछले आयोग से लगभग पांच गुना अधिक है। प्रदेश की 184 स्थानीय निकायों में से लगभग 170 नगरपालिकाएं इस समय...

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भूखे बुंदेलों के हक पर अमीरों का डाका

उरई। बुंदेलखंड के बीहड़ में बसे गांवों के लोग भुखमरी के मुहाने पर खडे़ हैं। उरई जिले के नंदीगांव व रामपुरा ब्लाकों के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के घरों में महीने में बमुश्किल 15 दिन ही चूल्हा जलता है और वह भी एक समय। ज्यादातर भूमिहीन और गरीबों के पास बीपीएल और अंत्योदय कार्ड तक नहीं हैं। पूरा भोजन ना मिलने से महिलाएं, पुरुष और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। दलित बाहुल्य गांवों की हालत...

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