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कहीं बोझ ना बन जाए युवा, मौका भुनाने के लिए कौशल विकास पर देना होगा ध्यान

डाउन टू अर्थ, 05 अप्रैल  जब किसी देश में कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या बच्चों और बुजुर्गों की आबादी को पीछे छोड़ आगे निकल जाती है, तो उसे जनसांख्यिकी लाभांश क्षेत्र कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में जानकारी दी है कि भारत मौजूदा समय में इसी दौर से गुजर रहा है और अगले दशक तक इसी क्षेत्र में बना रहेगा। आईएलओ द्वारा जारी आंकड़ों के...

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खेती-बाड़ी को किस दिशा ले जाएगी घटते खेतों की प्रवृत्ति?

कार्बन कॉपी, 27 फरवरी दरअसल दुनिया अब नए खेतों को बनता नहीं देख पाएगी। बजाय इसके खेतों का एकीकरण शुरू होगा। भारत जैसे देशों के साथ ही एशिया, अफ्रीका व उत्तरी अमेरिका के अधिकांश गरीब और विकासशील देशों के लिए यह एक ऐसा बदलाव है, जिसके बारे में हमने कभी नहीं सोचा था। और इसलिए हम इसके परिणामों के लिए तैयार नहीं थे। उदाहरण के लिए भारत में क्रियाशील कृषि जोतों की...

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वन (संरक्षण) संशोधन बिल-2023 से उपजी बहस का लेखाजोखा

2 अगस्त को लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 पारित हो गया। यह बिल वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करेगा। इस बिल को 2023 के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया था। तब इस बिल को लोकसभा अध्यक्ष ने ‘संयुक्त संसदीय समिति’ के पास भेज दिया था। समिति ने मूल मसौदे को यथावत रखा; उसमें किसी भी तरह के बदलाव की सिफारिश नहीं की।  लेकिन,...

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वैश्विक अर्थव्यवस्था को 248 लाख करोड़ का नुकसान पहुंचा सकता है 2023 में बनने वाला अल नीनो

डाउन तू अर्थ , 20 मई वैज्ञानिकों के मुताबिक 2023 में बनने वाली अल नीनो की घटना न केवल इस साल नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि साथ ही इसका प्रभाव 2029 तक दर्ज किया जाएगा। रिसर्च से पता चला है कि इस अल नीनो के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2029 तक 247.97 लाख करोड़ रुपए (तीन लाख करोड़ डॉलर) तक  का नुकसान हो सकता है। इतना ही नहीं यदि वैश्विक उत्सर्जन परिदृश्य को देखें...

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ये चार शहर दिखाते हैं कि कम उत्सर्जन के साथ विकास कैसे किया जा सकता है

द थर्ड पोल, 28 फरवरी शहर ग्रीन हाउस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं। दरअसल, विश्व स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के कुल उत्सर्जन में तकरीबन 60 फीसदी हिस्सेदारी शहरों की है। और जैसा कि हमें पता ही है कि हमारा वातावरण, इन्हीं ग्रीन हाउस गैसों के कारण गर्म हो रहा है। मौजूदा समय में, शहरी क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति बेहद संवेदनशील हो चुके हैं। एशिया में यह स्थिति...

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