नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आखिरकार आज विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक को हरी झंडी दे दी. विधेयक में निजी क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण होने पर क्षेत्र के 80 प्रतिशत लोगों की सहमति लेने का अनिवार्य प्रावधान किया गया है. सार्वजनिक-निजी साझीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के मामले में क्षेत्र के 70 प्रतिशत लोगों की सहमति लेने का प्रावधान किया गया है. विधेयक के प्रारुप के अनुसार क्षेत्र के जिन लोगों की जमीन...
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यूआईडी पर विशेष आलेख- बारह अंकों का रहस्य- खतरा या समाधान- गोपालकृष्ण
भारत में एक नया रिवाज चल पड़ा है। वह यह कि दुनिया के विकसित देश जिस योजना को खारिज कर देते हैं, हमारी सरकार उसे सफलता की कुंजी समझ बैठती है। विशेष पहचान संख्या (यूआईडी) इसकी ताजा मिसाल है। मोटे तौर पर तो यह बारह अंकों वाला एक विशिष्ट पहचान पत्र है, जिसे देशवासियों को सूचीबद्ध कर उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन यही पूरा सच नहीं है। विशेषज्ञों की...
More »पत्रकारों के लिए इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई
(आवेदन की अंतिम तिथि- 31 दिसंबर, सोमवार, 2012) विकासशील समाज अध्ययन पीठ( सीएसडीएस) की एक परियोजना इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की तरफ से इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फैलोशिप का उद्देश्य ग्रामीण-विकास पर ध्यान खींचना है, खासकर सशक्तीकरण, विकेंद्रीकरण, कन्वर्जेंस तथा पंचायतों और स्थानीय निकायों द्वारा मौजूदा स्कीमों के बेहतर इस्तेमाल के जरिए होने वाले ग्रामीण विकास पर। इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज ग्रामीण भारत से संबंधित सूचनाओं, विचारों...
More »कोयले-गैस की कमी से रुकी हैं 20,000 मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाएं
नई दिल्ली। बिजली संयंत्रों को ईंधन की आपूर्ति में कमी से देश में 20,000 मेगावाट क्षमता की नयी परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। यह बात बिजली मंत्रालय के एक अधिकारी ने कही। बिजली मंत्रालय के संयुक्त सचिव आईसीपी केसरी ने यहां उर्च्च्जा पर एक सम्मेलन में कहा कि मंत्रालय मौजूदा संयंत्रों को गैस की आपूर्ति के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय से चर्चा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कुल 8,000 मेगावाट क्षमता...
More »प्रतिरोध का कारवां- भारत डोगरा
जनसत्ता 7 नवंबर, 2012: यूपीए सरकार ने जिस तरह खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश को आगे बढ़ाने की जिद पकड़ी है उसकी ठीक ही व्यापक आलोचना हुई है। कोई ठोस प्रमाण दिए बिना ही सरकार ने कह दिया कि इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। कुछ समय के लिए खुदरा में बहुराष्टÑीय कंपनियों का प्रवेश जरूर चकाचौंध उत्पन्न कर सकता है, पर शीघ्र ही यह स्पष्ट...
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