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‘मोदी सरकार उद्योगपतियों के झुंड से घिरी’, हेमंत सोरेन कोल ब्लॉक नीलामी के खिलाफ गए सुप्रीम कोर्ट

-द प्रिंट, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह ‘पूरी तरह से बिजनेसमैन के झुंड से घिरी हुई है’. इसलिए उन्होंने राज्य के 22 कोयला ब्लॉकों को नीलामी करने के अपने फैसले को खारिज कर दिया है. सोरेन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को विश्वास में लिए बिना जल्दबाजी में यह निर्णय लिया है. सरकार पूरी तरह उद्योगपतियों के झुंड...

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क्या किसानों को तबाह कर के पूरी की जाएगी भारतमाला परियोजना?

-जनपथ, इस पूंजीवादी मॉडल की बेतरतीब योजनाओं में भारत की बुनियाद का तिनका-तिनका धरा पर बिखरता जा रहा है। किसान नेमत का नहीं बल्कि सत्ता की नीयत का मारा है। भारतमाला परियोजना के तहत बन रही सड़कें किसानों में बगावत के सुर पैदा कर रही हैं। इस योजना के तहत छह लेन का एक हाइवे गुजरात के जामनगर से पंजाब के अमृतसर तक बन रहा है, फिर आगे हिमालयी राज्यों तक...

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कोविड-19 संकट के बीच सेक्स वर्करों ने की कल्याण योजनाओं में शामिल करने की मांग

-कारवां, मई के मध्य में दिल्ली के जीबी रोड इलाके में रहने वाले हजारों सेक्स वर्करोंं ने कोविड-19 संकट के दौरान, बेरोजगार और गरीब लोगों के लिए भोजन प्रदान करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं से सहायता मांगी. कुछ सेक्स वर्करोंं ने मुझे बताया कि वे अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि आने वाले महीनों में यह महामारी उनकी आय को प्रभावित करेगी. एक सेक्स वर्कर ने अपना नाम न छापने...

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खस्ताहाल उद्योग-धंधे, अर्थव्यवस्था की हालत भी पतली

-डॉयचे वेले,  कोरोना संकट के दौरान लाखों प्रवासी कामगारों ने यह सोच कर घरों का रुख किया कि वे अपने लोगों के बीच रहकर कुछ न कुछ करके जीवन-यापन कर लेंगे. लेकिन बिहार में रोजगार के सीमित अवसरों के बीच 'कुछ न कुछ' भी तलाशना उनके लिए भारी पड़ रहा है. अकुशल मजदूरों के लिए दिहाड़ी तो कुशल या अर्द्धकुशल  कामगारों के लिए रोजगार के सीमित अवसर परेशानी का सबब बन...

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कैसी होगी कोविड-19 के बाद दुनिया-3: पूंजीवाद रहेगा या समाजवाद

-डाउन टू अर्थ, माना जा रहा है कि कोरोनावायरस बीमारी (कोविड-19) के बाद दुनिया में बड़ा बदलाव आएगा। इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ सुरे के सेंटर फॉर द अंडरस्टैंडिंग ऑफ सस्टेनेबल प्रोस्पेरिटी के ईकोलॉजिकल इकोनोमिक्स में रिसर्च फेलो सिमोन मेयर ने इस विषय पर एक लंबा लेख लिखा, जो द कन्वरसेशन से विशेष अनुबंध के तहत डाउन टू अर्थ में प्रकाशित किया जा रहा है। इसकी पहली कड़ी में आपने पढ़ा, कैसी...

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