भारत के संविधान में गांव की कोई परिभाषा नहीं है. जब गांव ही नहीं है, तो ग्राम गणराज्य भी नहीं है. यह बड़ा विरोधाभास है. महात्मा गांधी गांव गणराज्य की बात करते थे. वे आजादी का असली अर्थ गांवों की समरसता, आत्मनिर्भरता और लोकतंत्र में जन भागीदारी को मानते थे. देश आजाद हुआ और गणतंत्र भारत के लिए अपना संविधान बना, लेकिन इसमें गांव की परिकल्पना शामिल नहीं हो सकी. सब ने...
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जीवन की पाठशाला- बृजेश सिंह
शिक्षा जब कारोबार की जगह सरोकार से जुड़ती है तो क्या चमत्कार हो सकता है, यह बताता है पंजाब के गुरदासपुर जिले में चल रहा एक अनोखा कॉलेज. बृजेश सिंह की रिपोर्ट. दृश्य -1: कॉलेज के मेन गेट पर खड़ी एक लड़की. उम्र करीब 18-19 साल. कॉलेज की ड्रेस पहने यह लड़की हाथों में किताब लिए हुए है. बाहर से कोई दरवाजा खटखटाता है. वह गेट के झरोखे से आने...
More »खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता के लिए पूर्वोत्तर को 200 करोड़- आर एस राणा
मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम व सिक्किम में चावल की खेती के खास प्रयास पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने के लिए चालू वित्त वर्ष 2013-14 में 200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया जाएगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसम) के तहत इन राज्यों में चावल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। एनएफएसएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को खाद्यान्न...
More »सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?
भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
More »भोजन बर्बाद करने की इज्जत- अरुण कुमार त्रिपाठी
जनसत्ता 2 जुलाई, 2012: भोजन की बरबादी को सामाजिक प्रतिष्ठा माना गया है। उत्तर भारत की एक कहानी इस पाखंड को बखूबी बयान करती है। पिता ने अपने पुत्र को समझाया कि जब भी किसी और के घर आयसु (न्योता) खाने जाओ तो थोड़ा-बहुत भोजन छोड़ दिया करो। बेटे ने पूछा, पिताजी ऐसा क्यों? पिता ने समझाया कि बेटा, वह इज्जत है। आयसु खाते समय बेटे को पिता की हिदायत भूल...
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