मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति की बाट जोहते केंद्रीय सूचना आयोग में बीते नौ महीनों में लंबित मामलों की संख्या में एक चौथाई से ज्यादा की बढोत्तरी हुई है ! केद्रीय सूचना आयोग की वेबसाइट के अनुसार 22 अगस्त 2014 को आयोग में निपटारे की बाट जोहते मामलों की संख्या तकरीबन तीस हजार (29,959) थी जो नौ महीने बाद 19 मई 2015 को बढ़कर उनचालीस हजार से ज्यादा (39,416) हो गई...
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बिहार में अतिवृष्टि को केंद्र ने माना राष्ट्रीय आपदा: श्रीनिवास
फसल नुकसान का जायजा लेने बिहार आई दस सदस्यीय केंद्रीय टीम के नेतृत्वकर्ता कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव केएस श्रीनिवास ने कहा है कि चक्रवाती तूफान, ओलावृष्टि, बाढ़, भूकंप आदि राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में आते हैं। अतिवृष्टि राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में नहीं आती है। लेकिन, केंद्र सरकार ने इस वर्ष से अतिवृष्टि व अन्य स्थानीय आपदाओं को राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में माना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें...
More »वायदे पूरे होने का इंतजार- जगदीप छोकर
प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार, गवर्नेंस, काला धन इत्यादि मुद्दों पर कदम उठाने के तमाम वायदे किए थे। अब उनकी सरकार के एक साल पूरे होने के मौके पर यह सही अवसर है, जब कुछ खास मुद्दों पर उनके कामकाज का विश्लेषण किया जाए। सबसे पहले चुनाव सुधार की बात। सूचना के अधिकार और चुनाव सुधार का गहरा रिश्ता है। दरअसल, जब तक मतदाताओं के सामने सभी राजनीतिक...
More »सूचनाधिकार के रोड़े
जब देश में सूचना के अधिकार का कानून बना तो स्वाभाविक ही इसे पारदर्शिता सुनिश्चित करने के एक बड़े कदम के रूप में देखा गया। नागरिकों के सशक्तीकरण के नाते यह लोकतंत्र संवर्धन की दिशा में भी एक बड़ी पहल थी। इस कानून के चलते अनियमितता और भ्रष्टाचार के बहुत सारे मामले उजागर हुए। लेकिन नौ साल बाद सूचनाधिकार की स्थिति कई तरह से शोचनीय दिखाई देती है। इसकी राह...
More »नसबंदी कांड की कड़ियां- कनक तिवारी
जनसत्ता 17 नवंबर, 2014: बिलासपुर नसबंदी कांड राज्यतंत्र की क्रूरता का बेहद घिनौना उदाहरण है। केंद्र प्रवर्तित और राज्य पोषित नसबंदी कार्यक्रम को लागू करने में इतनी लोकविधर्मी विसंगतियां हैं। पर इन्हें सरकारी अहंकार समझना ही नहीं चाहता। जनसंख्या-वृद्धि पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय शासन ने बरसों से अंतरराष्ट्रीय स्थितियों, समझौतों और समझाइशों के तहत नीतियां बनाने का प्रयत्न किया है। शासन और भद्रलोक के उपचेतन में इस मुगालते...
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