-आउटलुक, “एनपीए बढ़ा, बैंकों को गहराते संकट से उबारने के उपाय ऊंट के मुंह में जीरे के सामान, गलतियों से सबक सीखने के प्रति लापरवाही, दिवालिया संहिता से सवालिया घेरे में बैंक, याराना पूंजीवाद और भगोड़ों पर कोई खास अंकुश नहीं” अजब जलवा है भगोड़ों का। 23 मई की रात अचानक खबर आई कि देश के बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने वाले मोस्ट वांटेड भगोड़ों में से एक, मेहुल चोकसी...
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"केंद्र सरकार द्वारा फोन टैप करवाना लोकतंत्र का अपमान", कर्नाटक के नेता
-कारवां, इजराइली कंपनी एनएसओ समूह द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए जासूसी कराए जाने की दि वायर में प्रकाशित रिपोर्ट पर कर्नाटक के दो बड़े नेताओं ने उनके और उनके कर्मचारियों के फोन नंबरों को टैप करने की निंदा की है. एनएसओ समूह दुनिया भर की सरकारों को निगरानी तकनीक प्रदान करने वाली फर्म है. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जनता दल (सेक्युलर) के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री...
More »हर मिनट भूख के कारण दम तोड़ रहे हैं 11 लोग, कोविड-19, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन है बड़ी वजह
-डाउन टू अर्थ, हर मिनट भूख के कारण औसतन 11 लोग दम तोड़ रहे हैं। जिसके लिए काफी हद तक कोविड-19, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जिम्मेवार है। यह जानकारी हाल ही में ऑक्सफेम द्वारा जारी नई रिपोर्ट द हंगर वायरस मल्टीप्लाइज में सामने आई है| अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 15.5 करोड़ लोग गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं, जोकि पिछले साल की तुलना में 2 करोड़...
More »सुंदरवन से निकला 10 टन प्लास्टिक, अभी सफाई जारी
-डाउन टू अर्थ, यास चक्रवात के बाद सुंदरवन के प्रभावित लोगों तक राहत सामग्रियां पहुंचाने के लिए कई एनजीओ आगे आये और उनकी तरफ से भोजन से लेकर पानी तक पहुंचाया गया। लेकिन इस राहत अभियान ने सुंदरवन के इको-सिस्टम पर भी बहुत असर डाला है। सुंदरवन की नदियां-तालाब व जमीन प्लास्टिक के बोतल, फुड पैकेट्स, पाउच आदि से भर गये। सुंदरवन का इलाका पश्चिम बंगाल के उत्तर व दक्षिण 24 परगना...
More »दिन महंगे ही अच्छे!
-न्यूजक्लिक, लगता है कि विरोधी तो विरोधी, भक्त भी भागवत जी की बात को पूरी तरह समझ नहीं पाए। बेशक, भागवत जी ने जब पॉजिटिविटी अनलिमिटेड का सूत्र दिया था, तब कोविड महामारी ने कुछ ज्यादा ही तबाही मचा रखी थी। कोई आक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहा था, तो दवा की कमी से और कोई वेंटीलेटर की कमी से। कोई अस्पतालों के गलियारों में, तो कोई फुटपाथों पर। हद तो...
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