नयी दिल्ली: देश में तेजी से बढती महंगाई से परेशान मध्यम वर्ग के लोगों की जेब वस्तुओं के मुकाबले शिक्षा, इलाज, परिवहन जैसी सेवाओं की महंगाई के कारण ज्यादा ढीली हो रही है. उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक बुनियादी सेवाओं के मूल्यों में सालाना आधार पर कम-से-कम 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जिससे लागत वृद्धि के मामले में वस्तुओं को सेवाओं से पीछे छोड दिया है. अध्ययन...
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कचरे को बना दिया कीमती संसाधन
कहानी है अमेरिका में मोटी तनख्वाह की नौकरी छोड़ स्वदेश लौटे मणि वाजपेयी और राज मदनगोपाल की. उन्होंने एक कंपनी बनायी ‘बैनयान नेशन'. इसके जरिये उन्होंने भारत में दिनोंदिन बढ़ते कचरे के प्रबंधन की दिशा में एक नयी इबारत लिखी है. सामाजिक उद्यम के रूप में स्थापित कंपनी उच्च तकनीक से लैस है. यह पारंपरिक ढंग से हट कर, छंटाई और रीसाइक्लिंग के जरिये कचरे का निबटान करता है. यह नव-उद्यम...
More »बाली पैकेज पर भारत की गुगली- प्रमोद जोशी
अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से पंगा लेकर क्या मोदी सरकार कोई गलती करने जा रही है? क्या वह वैश्विक बिरादरी में अलग-थलग पड़ने को तैयार है? या सरकार क्या यह साबित करना चाहती है कि वह यूपीए की गलती को दुरुस्त कर रही है? बीते साल संसद में खाद्य सुरक्षा कानून को पास करा कर उसका सारा श्रेय कांग्रेस ने लिया था. अब कुछ...
More »'सफेद सोना" बनता जा रहा है दूध - धर्मेंद्रपाल सिंह
भोपाल को-ऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन ने सांची दूध के दाम दो रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिए। इससे पहले मदर डेयरी और अमूल दूध के दाम बढ़ाए गए थे। चार महीने के भीतर दूध के दाम दूसरी बार बढ़े हैं। सबसे पहले गुजरात को-ऑपरेटिव दूध विपणन महासंघ ने अमूल दूध का भाव दो रुपए प्रति लीटर बढ़ाने की घोषणा की थी। देश की इस सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव की देखा-देखी अन्य दूध उत्पादकों...
More »नये मध्यवर्ग का चरित्र- पवन के वर्मा
भारत का युवा गणतंत्र संकट में है, और भारतीय मध्य-वर्ग इसमें मुखर प्रतिभागी और हाशिये पर खड़ा दर्शक बना हुआ है. इस द्वैध के कई कारण हैं. इतिहास में किसी वर्ग के लिए यह असामान्य नहीं रहा है कि वह अपने अंदर कहीं बड़ी संभावना रखता हो, लेकिन आम तौर पर उससे बेखबर हो तथा उस बड़ी भूमिका को निभाने के लिए उसकी उतनी तैयारी भी न हो. सामाजिक रूपांतरण की...
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