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गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में रह रहे 7 करोड़ लोगों पर मंडरा रहा है आर्सेनिक और फ्लोराइड का खतरा

डाउन टू अर्थ, 15 फरवरी पश्चिम बंगाल में जादवपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉक्टर तारित रॉयचौधरी ने चेताया है कि अगर प्रभावी रणनीति न अपनाई गई तो आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रदूषण देश में गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। डॉक्टर तारित रॉयचौधरी का कहना है कि आर्सेनिक प्रदूषण के मामले में पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। रॉयचौधरी...

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केरल में आस-पास के पर्यावरण को दूषित कर रहा है केएमएमएल, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

डाउन टू अर्थ, 8 फरवरी केरल मिनरल्स एंड मेटल्स (केएमएमएल) के आस-पास के क्षेत्र से लिए रुके पानी के नमूनों और उनके विश्लेषण से एसिडिक पीएच और भारी धातुओं की उपस्थिति का पता चला है। वहीं कुएं से लिए पानी के तीन नमूनों में भी आयरन की उच्च मात्रा पाई गई है, जबकि एक नमूने में अम्लीय एसिडिक पीएच का पता चला है। केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में...

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बजट में किए गए वादों की ज़मीनी हकीकत

कार्बनकॉपी, 8 फरवरी वित्त मंत्री ने बजट भाषण में भी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कुछ घोषणाएं कीं। इनमें से कुछ ऐसी योजनाओं के बारे में थीं जिनमें पिछले साल और उसके पहले के बजट भाषणों में किए गए वादे और निर्धारित लक्ष्य अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। प्राकृतिक खेती वित्त मंत्री ने घोषणा की कि अगले तीन वर्षों में सरकार एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए...

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आर्थिक सर्वेक्षण: जलवायु वित्त पर भारत का जोर, जी-20 में विकासशील देशों के रुख को मिलेगी मजबूती

मोंगाबे हिंदी, 3 फरवरी भारत ने संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए विकासशील देशों के लिए ग्रीन फाइनेंस (पर्यावरण को बचाने के लिए धन की व्यवस्था) की खातिर मुखरता से अपनी बात रखी है। इसमें कहा गया है कि विकासशील देश, विकास से जुड़ी प्राथमिकताओं और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के बीच फंस गए हैं। भारत ने अपना पक्ष ऐसे वक्त सामने रखा है जब वह जी-20 की मेजबानी...

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धंसते जोशीमठ से उठते सवाल, सरकारों ने पहाड़ी राज्य के हिसाब से नहीं बनाया विकास मॉडल

डाउन टू अर्थ, 16 जनवरी जोशीमठ में जो आज हो रहा है उसकी पठकथा तो कई सालों से लिखी जा रही थी, ये प्राकृतिक संसाधनों की लूट का खुला प्ररिणाम है। ये नाजुक परिस्थितिकीतंत्र के ऊपर आर्थिक तंत्र को तबज्जो देने का परिणाम है। हम सब जानते हैं कि हिमालय बहुत नाजुक पर्वतश्रृंखला है और इसका परिस्थितिकीतंत्र अतिसंवेदनशील है। हिमालय सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था पर सीधा असर...

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