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किराए की कोख और कानून-- सुधा सिंह

सरोगेसी विधेयक पर हर तरह की राय आ रही है। अन्य देशों का हवाला दिया जा रहा है जहां सरोगेसी पर पाबंदी है, विशेषकर यूरोपीय देशों का। मोटे तौर पर सरोगेसी दरअसल ऐसे दंपति को संतान का सुख देने का जरिया है जहां स्त्री किसी कारण से गर्भधारण नहीं कर सकती, लेकिन जिन्हें अपनी जैविक संतान, कुछ समान जिनेटिक गुणों के साथ, चाहिए। ऐसे में महिला का अंडा और...

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भ्रष्टाचार और प्रदूषण का खनन-- रामचंद्र गुहा

जब नई सदी की शुरुआत हुई, तो मेरे गृह राज्य कर्नाटक में आर्थिक उदारीकरण के ‘पोस्टर बॉय' थे- एन आर नारायण मूर्ति। मध्यवर्गीय परिवार से निकले इस शख्स के पास उद्यमशीलता का कोई पारिवारिक अनुभव नहीं था। नारायण मूर्ति ने अपनी जैसी सोच वाले छह अन्य लोगों को जोड़ा और इन्फोसिस की नींव रखी। बहुत मामूली शुरुआत हुई थी इसकी, मगर साल 2000 तक इस कंपनी का मुख्यालय न सिर्फ बेंगलुरु...

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सात दशक के बाद-- रघु ठाकुर

स्वतंत्रता और स्वाधीनता का क्या अर्थ है? स्वतंत्रता एक व्यवस्थागत आजादी का बोध कराती है। मसलन, स्वतंत्र यानी हमारे देश का अपना प्रशासन, अपनी शासन-प्रशासन प्रणाली। पर स्वाधीनता उससे कुछ ज्यादा व्यापक अर्थ देती है, जिसमें किसी भी प्रकार की अधीनता न हो। एक देश के रूप में हम अपने ही अधीन हों- एक नागरिक के रूप में, हम अपनी अंतरात्मा के अधीन हैं। अब प्रश्न यह है कि आज...

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विकास का 'गुजरात मॉडल'!-- अनुज लुगुन

गुजरात में कथित गोरक्षकों द्वारा दलित युवाओं को निर्ममता से पीटे जाने के विरोध में हुए दलितों के आंदोलन ने भारतीय सामाजिक संरचना की विसंगति को फिर से उजागर किया है. जिस तरह से दलितों ने मरी हुई गायों को जिला कलेक्टर के दफ्तर के सामने फेंक कर बहिष्कार का प्रदर्शन किया, उसने फिर से बाबा साहेब आंबेडकर के नेतृत्व में हुए महाड़ आंदोलन की याद दिला दी. लाखों की...

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देश के मुद्दे और मीडिया की जंग -- मिहिर भोले

मीडिया की दो दिग्गज हस्तियों बरखा दत्त और अर्नब गोस्वामी के बीच छिड़ी घोषित-अघोषित जंग आज-कल चरचा में है. दोनों ही देश के एकसमान प्रतिष्ठित और लोकप्रिय पत्रकार हैं. दोनों की अपनी-अपनी फैन-फॉलोइंग है. बरखा लिख रही हैं और अपने लिए वैचारिक समर्थन जुटाने के लिए ट्वीट भी कर रही हैं. दूसरी ओर अर्नब बिना नाम उछाले अपने शो में बरखा की सोच का जोरदार प्रतिवाद करते जा रहे...

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