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किसान संसद: अब देश चलाना चाहती हैं महिला किसान

-न्यूजक्लिक, खेतों में भी हम कमाते हैं, देश को भी हम चलाएंगे,..घरों को भी हम चलाते हैं, देश को भी हम चलाएंगे, महिला शक्ति आई है, नई रोशनी लाई है... और यह नारे लगाते हुए महिला किसानों का जत्था अपनी अनोखी और ऐतिहासिक संसद सजाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंच गया। देश की संसद के समानांतर, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्षरत किसानों ने किसान संसद का आह्वान किया और...

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आंदोलन के आठ महीने: ट्रैक्टर पर राहुल गांधी, महिलाओं की किसान संसद, ‘मिशन यूपी’ की शुरुआत

-जनपथ, आज 26 जुलाई 2021 को किसान आंदोलन भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर निरंतर विरोध प्रदर्शन के आठ महीने पूरे कर रहा है। आज जंतर-मंतर पर किसान संसद का संचालन पूरी तरह महिलाएं करेंगी। महिला किसान संसद भारतीय कृषि व्यवस्था में और चल रहे आंदोलन में, महिलाओं द्वारा निभायी जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाएगी। महिला किसान संसद के लिए विभिन्न जिलों से महिला किसानों का काफ़िला मोर्चे पर...

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जिस तरह अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को जेल में मार डाला, उसी तरह भारत सरकार ने स्टेन को: स्वामी के साथी

-आउटलुक, "लेकिन हम फिर भी समूहों में गाएंगे,  पिंजरे में बंद पंछी अभी भी गा सकता है।" ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि फादर स्टेन स्वामी के थे, जिन्होंने जेल से अपने एक साथी जेसुइट पादरी को लिखे पत्र में कहा था। दोनों हाथों में लगातार झटके के साथ तेज पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित स्टेन ने पत्र लिखने के लिए इस दर्द को उठाया, क्योंकि वो अन्य कैदियों की दुर्दशा को उजागर...

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बिहार, यूपी की ऑर्केस्ट्रा डांसरों की कहानी: पिंजरे में बंद लड़कियां और गिद्ध की तरह झपटते लोग

-बीबीसी, रिकार्डिंग रूम छोटा है. कुछ महिलाएं इंतज़ार में खड़ी हैं. उन्हें अपनी कहानियां रिकॉर्ड करानी हैं. उन्हें बताया गया कि यह उनके लिए मददगार साबित हो सकती है. कोई उनकी कहानियों को पढ़ या सुन कर उन्हें बचाने के लिए आगे आ सकता है. उनके लिए यह उम्मीद की हल्की किरण जैसी थी. उम्र के तीसरे दशक के आख़िर में चल रही एक महिला इन लड़कियों का परिचय कराती है. ये...

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ब्रेन फ़ॉग क्या है? मेनोपॉज़ से पहले महिलाओं को क्यों होती है याददाश्त से जुड़ी परेशानियां?

-बीबीसी,  करियर के शुरुआती दिनों में न्यूयॉर्क के लेनॉक्स हिल अस्पताल की न्यूरोलॉजिस्ट गायत्री देवी और उनकी सहयोगियों ने एक ग़लती कर दी. उन्होंने मेनोप़ॉज़ से ग़ुज़र रही एक महिला को अलज़ाइमर का मरीज़ समझ लिया. कई दौर के उपचार के बाद महिला के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और डॉक्टर गायत्री ने महसूस किया कि इसके शुरुआती लक्षण- भूल जाना और ध्यान भटकना हैं. इन लक्षणों के पीछे दूसरे कारण थे. मरीज़ के...

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