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80% मिडिल और सेकेंडरी छात्रों को सता रहा परीक्षा का डर, 45% के लिए बॉडी इमेज एक बड़ी चिंता- NCERT सर्वे

दिप्रिंट, 7 सितम्बर भारत में मिडिल और सेकेंडरी स्कूल स्तर पर 80 प्रतिशत से अधिक स्कूली छात्रों के लिए इम्तिहान और उनके नतीजे चिंता का कारण बनते हैं- ये ख़ुलासा राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) की ओर से कराए गए, अपनी तरह के पहले मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में हुआ है. सर्वे में ये भी पता चला है कि इन स्तरों पर 45 प्रतिशत छात्रों के लिए उनकी बॉडी इमेज...

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बंगाल सरकार पर एनजीटी ने अपशिष्ट प्रबंधन में ख़ामी के चलते 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

द वायर, 06 सितम्बर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ठोस और तरल अपशिष्ट के उत्पादन और निस्तारण में भारी अंतर को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी ने कहा कि बंगाल सरकार सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की स्थापना को प्राथमिकता देती नजर नहीं आ रही है, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राज्य के बजट में शहरी विकास और नगरपालिका से जुड़े मामलों...

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गरीबी और असमानता

[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...

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ये कैसी आजादी और कैसा महोत्सव? जहां शिक्षा है न ही मूलभूत सुविधाएं

जनचौक, 24 अगस्त अगर हम आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के आलोक में “हर घर तिरंगा” अभियान से फायदे की बात करें, तो मीडिया से आने वाली खबरें बताती हैं कि केन्द्र सरकार को 500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का लाभ हुआ है। 30 करोड़ से भी ज्यादा राष्ट्रीय झंडा तिरंगा की बिक्री हुई है। वहीं जब हमने झारखंड में ‘हर घर तिरंगा’ के तहत बांटे जा रहे झंडा के बाबत...

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मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!

कुछ राज्यों में मानसून देरी से आया है इस कारण बोये गए चावल का इलाका पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. आंकड़ो में कहें तो 29 जुलाई,2022 तक 231.59 लाख हेक्टेयर रकबे में ही चावल बोये गए हैं जोकि पिछले वर्ष के इसी समय काल की तुलना में कम (267.05 लाख हेक्टेयर) है. बोये गए चावल के इलाके में आयी कमी सहित अन्य कारणों से अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ने का डर...

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