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भारत में विकसित नयी वैक्सीन की दुनियाभर में सराहना..

रोटावायरस डायरिया भारत सहित कई देशों में नवजात शिशुओं और बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण है. भारत में हर साल करीब नौ लाख बच्चों को इसके कारण अस्पतालों में भर्ती करना पड़ता है, जिनमें से 80 हजार से एक लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है. लेकिन, इससे बचाव की विदेशी दवाएं इतनी महंगी थीं कि हर किसी के लिए उसका सेवन करना आसान न था....

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अहम साल रहा 2015, घातक पर्यावरणीय बदलावों के लिहाज से

बीता वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. हालांकि, पिछले करीब एक दशक में कई वर्ष ऐसे रहे हैं, जो उस समय तक सबसे गर्म साल के रूप में आंके गये, लेकिन वर्ष 2015 को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि क्लाइमेट चेंज के लिहाज से विशेषज्ञों ने इसे 'टिपिंग प्वाइंट' करार दिया है. क्या इंगित करता है यह टिपिंग प्वाइंट, क्यों जतायी जा रही...

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जलवायु परिवर्तन से सामंजस्य जरूरी- भरत झुनझुनवाला

केन्द्र सरकार ने किसानों के लिये फसल बीमा की नई स्कीम घोषित की है। अनुमान है कि धरती का तापमान बढ़ने के कारण सुनामी, बाढ़, तूफान तथा सूखे जैसे मौसम में उपद्रव बढ़ेंगे। तदनुसार किसानों की समस्यायें बढ़ेंगी। फसल चौपट होने से इन्हें आत्महत्या करने अथवा खेती से पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा। अतः सरकार द्वारा घोषित बीमा योजना सही दिशा में है। हालांकि, कागजी उलझनों के कारण इसके...

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2015 हो सकता है सबसे गर्म साल: डब्ल्यूएमओ

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने शुक्रवार को कहा कि वर्ष 2015 के बीते 136 वर्षों का सबसे गर्म साल बनने की संभावना है क्योंकि पहले नौ महीनों ने गर्मी के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। डब्ल्यूएमओ प्रवक्ता क्लैरे नुलिस ने कहा कि फिलहाल अभी हम यह पूरे भरोसे के साथ नहीं कह सकते कि 2015 रिकॉर्ड में सबसे गर्म साल होगा क्योंकि यह साल अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन...

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जलवायु न्याय की डगर पर-- एन के सिंह

रॉबर्ट स्वान की इस पंक्ति को याद करना जरूरी है- यह सोच हमारी पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा खतरा है कि कोई दूसरा इसे बचा लेगा। कई वैज्ञानिक रिपोर्ट यह इशारा करती हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के मौजूदा खतरे की वजह मानवीय गतिविधियां हैं, इसलिए इससे निपटने की जवाबदेही भी मनुष्यों की ही होनी चाहिए। बान की मून के शब्दों में- जलवायु परिवर्तन किसी सीमा से बंधा...

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